पाकिस्तान में औरतों और लड़कियों का बुरा हाल है। शरिया कानूनों को मानने वाले इस्लामिक देश पाकिस्तान में शुरू से ही दोयम दर्जे का इंसान माना जाता है। औरतों और महिलाओं को मर्दों के इस्तेमाल की चीज मानने वाले पाकिस्तान की अदालतों में भी औरतों इंसाफ मिलना नामुमकिन जैसा ही माना जाता है। महिलाओँ और लड़कियों को अत्याचार और बलात्कार के भी सुबूत और गवाह पेश करने पड़ते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों को हिजाब पहनकर आने के लिए मजबूर करने, कम उम्र में ही शादी के लिए मजबूर करने, और ऑनर किलिंग जैसे अपराध पाकिस्तान में आम हैं। यूरोपियन यूनियन की संसद ने पाकिस्तान में औरतों पर हो रहे अत्याचार के मामलों पर गंभीर रुख अख्तिया किया है।
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यूरोपियन यूनियन की संसद ने पाकिस्तान की सरकार से सितंबर माह तक इन सभी बिंदुओं पर जवाब तलब किया है। पाकिस्तान से यह भी कहा है कि महिलाओं और बच्चिों पर हो रहे अपराधों के अलावा बालश्रम कानूनों को भी सख्ती से लागू किया जाए।
ध्यान रहे, बीते साल लाहौर में एक अस्मा अजीम नाम की महिला के साथ हुई दरिंदगी की खबरें दुनियाभर की मीडिया की सुर्खियों में शामिल रही थीं। अस्मा अजीम का कसूर यह था कि उसने अपने पति असलम के दोस्तों के सामने नाचने मना कर दिया था। इसी बात पर असलम और उसके साथियों ने अस्मा अजीम को निर्वस्त्र करके लोहे की रॉड से पीटा और गंजा कर बाल उसी के सामने जला दिए और जानवरों की तरह लोहे की पाइप से हाथ बांधकर पंखे से लटका दिया । अस्मा ने पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसकी मदद करने से इंकार कर दिया। इसके बाद अस्मा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया तो दुनिया भर में बवाल मच गया। उसके बाद पाकिस्तान सरकार और पुलिस एक्शन में आयी।
ढाक के तीन की तरह कुछ दिन जेल में रहने के बाद अस्मा का पति असलम बाहर आ गया। पाकिस्तान में यह चलन भी बताया जाता है कि पत्नि अपने पति से तलाक नहीं ले सकती लेकिन पति चाहे तो किसी भी वक्त तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोल कर तलाक दे सकता है। यूरोपियन यूनियन की पार्लियामेंट ऐसे तमाम मामलों का जिक्र करते हुए पाकिस्तान सरकार की निंदा की है तत्काल प्रभावी कानून बनाने को कहा है।.