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पाकिस्तान में नहीं बदले हालात, रसातल में अल्पसंख्यकों के अधिकार

पाकिस्तान में नहीं बदले हालात, रसातल में अल्पसंख्यकों के अधिकार

पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ पिछले 48 घंटों में दुनियाभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। 14 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस पर दुनियाभर में विरोध प्रदर्शनों के बाद, यह अगस्त में दूसरी बार है कि पाकिस्तान विश्व स्तर पर शर्मसार हुआ है।

न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास के बाहर, लंदन में ब्रिटेन की संसद के सामने, टोरंटो की सड़कों से लेकर एम्स्टर्डम की गलियों तक और जर्मनी में गोटिंगेन तक हजारों लोग पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनमें से अधिकांश पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हैं और वह उनके साथ होने वाले अपहरण, हत्या या गायब कर देने जैसे मामलों के खिलाफ विरोध जता रहे हैं।

न्यूयॉर्क आधारित अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, "प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार और सुरक्षाबलों ने पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों, और राजनीतिक विपक्ष सहित महत्वपूर्ण आवाज पर नकेल कस दी है। संघीय सरकार कम-आय वाले श्रमिकों और अन्य कमजोर समूहों पर कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने में विफल रही है। कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा मनमाने ढंग से नजरबंदी और अवैध रूप से हत्याएं जारी हैं।"

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Balochistan with 46% landmass, Pakistsn&#39;s 70% economy being run via looting of <a href="https://twitter.com/hashtag/Baloch?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#Baloch</a> resources, still we have no representation at <a href="https://twitter.com/UN?ref_src=twsrc%5Etfw">@UN</a>.<br><br>Despite being rich we are not allowed to have national Radio broadcasting service or TV chennel.<br><br>Now ISI reporteing us on social Media.</p>&mdash; SobdarBaloch (@SobdarBaloch_) <a href="https://twitter.com/SobdarBaloch_/status/1301018939397414912?ref_src=twsrc%5Etfw">September 2, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

एनजीओ ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और प्रशासन की ओर से उनके उत्पीड़न की बात कही। संगठन ने वहां अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे भेदभावपूर्ण रवैये पर कहा कि अधिकारी दुर्व्यवहार के लिए पर्याप्त सुरक्षा या जवाबदेही स्थापित करने में विफल रहे हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का जबरन निकाह किया जाता है, महिलाओं का काफी शोषण किया जाता है।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में गिलगित, सिंध और बलूचिस्तान के प्रांतों में अल्पसंख्यक लोग डर के साए में रह रहे हैं। इस्लामाबाद वैश्विक आतंक को वित्त पोषित करने पर ब्लैक लिस्टिंग से बचने के लिए नए माध्यम खोजने की कोशिश में जुटा है।

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">If an Indian, American policymaker visits Balochistan and witness the <a href="https://twitter.com/hashtag/unprecedented?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#unprecedented</a> extra ordinary building of military installation in Balochistan&#39;s coastal belt, i am100% sure <a href="https://twitter.com/hashtag/Delhi?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#Delhi</a> &amp; <a href="https://twitter.com/hashtag/Washington?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#Washington</a> can&#39;t sleep for an hour.<br><br>You are kept on blind spot thats why u can&#39;t realiase.</p>&mdash; SobdarBaloch (@SobdarBaloch_) <a href="https://twitter.com/SobdarBaloch_/status/1301026271892250625?ref_src=twsrc%5Etfw">September 2, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तानी सेना और उसके खुफिया विभाग द्वारा कथित तौर पर लोगों को प्रताड़ित करने, उनका अपहरण और हत्या जैसी घटनाएं हुई हैं।

पाकिस्तानी कमीशन ऑफ इंक्वायरी ऑन डिसप्लेमेंट्स ने दिसंबर 2019 में बताया कि 2,141 व्यक्तिगत मामले अनसुलझे हैं। वास्तविक आंकड़ा स्पष्ट रूप से बहुत अधिक है।

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) के चेयरपर्सन डॉ. मेहदी हसन ने इसे चिंता का विषय बताते हुए देश में लोगों के अधिकारों को कुचलने की बात मानी है। उनका कहना है कि कई पीड़ित सहायता लेने से डरते हैं और उन्हें संस्थानों व व्यक्तियों द्वारा प्रतिशोध का डर रहता है।

हसन ने कहा, "पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने लंबे समय से माना है कि आधिकारिक आंकड़ों में जबरन गायब व्यक्तियों की संख्या को कम करके दिखाया गया है, जो कि पूछताछ पर लागू आयोगों (सीओईआईडी) की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हैं। बलूचिस्तान के डॉ. दीन मोहम्मद जैसे कुछ पीड़ित तो 11 साल से गायब हैं।"

दीन मोहम्मद, इदरीश खट्टक, ब्रम्ह बलूच, हयात बलूच, शब्बीर अहमद, ताहिर अहमद नसीम, साजिद हुसैन – पाकिस्तान की क्रूरता के शिकार लोगों की सूची प्रत्येक गुजरते दिन के साथ लंबी होती जाती है।

जून में, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मानवाधिकार रक्षकों की व्यापक चुप्पी की निंदा की थी।

सुन्नियों का कथित तौर पर हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, शियाओं, अहमदियों और बौद्धों पर अत्याचार जारी है। पत्रकारिता, कला, कानूनी पेशे के सभी क्षेत्रों के लोग अपने अधिकारों से वंचित हैं। कोविड-19 महामारी ने स्थिति को और खराब किया है।.