उत्तर प्रदेश की बैंडिट क्वीन यानी की डकैत फूलन देवी की मौत के 20 साल बाद तक एक मुकदमा चलता रहा। अब जब पुलिस ने कोर्ट में फूलन देवी की मौत का प्रमाण पत्र पेश किया है तब जाकर यह मुकदमा खत्म हुआ है। यह 41 साल पहले भोगनीपुर कोतवाली क्षेत्र में डकैती और हत्या के प्रयास का मामला है।
डकैती की वारदात का यह मुकदमा 41 सालों से चल रहा था, घटना 27 जनवरी 1980 की है जब भोगनीपुर कोतवाली क्षेत्र के करियापुर गांव में हत्या और डकैती की वारदात को अंजाम दिया गया था। इस डकैती में कालपी के शेरपुर गुढ़ा गांव की रहने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी और गौहानी के रहने वाले विक्रम मल्लाह का नाम सामने आया था। फूलन देवी, विक्रम मल्लाह सहित गिरोह के सदस्यों पर मामला दर्ज किया गया था।
दरअसल पुलिस ने फूलन की मौत का प्रमाण कोर्ट में पेश नहीं किया था। इस दौरान कोर्ट ने फूलन के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया तो पुलिस ने फूलन के गांव पहुंच कर प्रधान से उसका मृत्य प्रमाण पत्र लिया। जिसे अपनी रिपोर्ट के साथ संलग्न कर कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट में पेश किया। इसमें बताया गया कि फूलन देवी की मौत 25 जुलाई 2001 को हो चुकी है। कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ वाद की कार्यवाही को Upsmit कर दिया।
वहीं, दुर्दांत डकैत विक्रम मल्लाह को पुलिस ने एनकाउन्टर में 12 अगस्त 1980 में ढेर कर दिया था। विक्रम की मौत की पुष्टि भी पुलिस ने कोर्ट में 18 साल बाद की थी। जिसके बाद सन् 1998 में विक्रम मल्लाह के खिलाफ चल रही सुनवाई को खत्म कर दिया था। इसके साथ ही फूलन देवी आत्मसमर्पण करने के बाद चुनाव लड़ी और सांसद बन गईं। इसके बाद भी फूलन देवी का मुकदमा अदालत मेंम विचारधीन रहा। दिल्ली में 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी, लेकिन पुलिस उनकी मौत होने की अब पुष्टि करा पाई है।