अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा तो कर लिया लेकिन इस वक्त देश की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है और तालिबानियों की कमर टूटी हुई है। तालिबान ने सरकार तो बना ली लेकिन आगे की राह अभी इतनी आसान नहीं है। तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद से देश की स्थिति बेहद ही खराब है, लोगों के पास खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे हैं, रोजगार खत्म हो चुका है। यहां तक की लोग अपने घरों का सामान बेचकर गुजारा कर रहे हैं। ऐसे में तालिबानियों ने मदद के लिए भारत से गुहार लगाई है।
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तालिबान ने दुनिया के कई देशों से संपर्क कर मदद मांगी है, भारत के साथ इस वक्त कई देश वेट एंड वॉच की नीति पर काम कर रहे हैं। तालिबान ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि अफगान छात्रों के लिए छात्रवृत्ति फिर से शुरु कर दे। तालिबान की ओर से ऐसी मांगें तब आई हैं, जब केंद्र सरकार ने संकेत दिया कि वह तालिबान द्वारा बनाई गई अंतरिम कैबिनेट को मान्यता देने की कोई जल्दी नहीं है।
कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी जैसे तालिबान अधिकारी भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले अफगान छात्रों की यात्रा जैसे मुद्दों को उठाने के लिए भारत से संपर्क में हैं। मत्ताकी की मांग है कि, छात्रवृत्ति रखने वाले अफगान छात्रों को भारत की यात्रा करने की अनुमति दी जाए। हालांकि, भारत सरकार की ओर से फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है। सरकार इस वक्त तालिबियों के उठा जा रहे कदमों पर नजर बना हुए है।
बताते चलें कि, इसी हफ्ते अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को फिर से शुरू करने की अपील की। उसने एयरलाइंस के साथ पूर्ण सहयोग का वादा किया और कहा कि काबुल हवाई अड्डे पर समस्याओं का समाधान किया गया है। हवाई अड्डे से सीमित संख्या में सहायता और यात्री उड़ानें संचालित हो रही हैं।
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गौरतलब हो कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करते हुए अपने किए गए वादे से मुकरता हुए नजर आ रहा है। तालिबान वापस से वही क्रूर चेहरा लेकर लौटा है, इसके साथ ही अपने देश में बनाए जा रहे कानून को लेकर बाकी देशों के अपने प्रतिक्रिया देने से दूर रहने के लिए कहा। अमेरिका-जर्मनी सहीत कई देशों ने अफगानिस्तान में दी जाने वाली सहायता राशि फ्रीज कर दिया है जिसके बाद से अफगानिस्तान में स्थिति बेहद ही खराब हो गई है।