पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जब सत्ता में आए तो वो नए पाकिस्तान का सपना देख कर आए थे। उन्होंने अपने नागरिकों को मुल्क के विकास के बड़े-बड़े पने दिखाए थे। लेकिन हुआ यह कि इमरान खान के आने के बाद से देश में आतंकवाद बढ़ गया, अल्पसंख्यकों पर उत्तपीड़न के मामलों में वृद्धी हो गई। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। महांगई अपने चरम पर है। करपश्न के मामले बढ़ने लगे। यहां तक की विश्व स्तर पर भी पाकिस्तान काफी नीचे गिर चुका है। अब इमरान खान ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि उन्होंने जो नए पाकिस्तान का सपना देखा था उसमें वो फेल हो गए। उन्होंने कहा है कि, वो वादों पर खरा नहीं उतर पाए हैं। इसका ठीकरा उन्होंने पाकिस्तान के सिस्टम में खराबियों पर फोड़ दिया है। इमरान खान की इस तरह की बातों से यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि वो पीएम पद से इस्तीफा देने वाले हैं। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि इमरान खान की आंखों का पानी मर गया वो इतनी आसानी से इस्तीफा नहीं देंगे। अगर इस्तीफा देते हैं तो यह दुनिया सबसे बड़ा अजूबा होगा।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि, शुरुआत में हम क्रांतिकारी कदमों के जरिए तुरंत बदलाव लाना चाहते थे, लेकिन बाद में हमें एहसास हुआ कि हमारी व्यवस्था इस बदलाव को सहने में असमर्थ है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, सरकार और मंत्रालयों ने मनचाहे नतीजे नहीं दिए हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार और देश के हित के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि, क्या हमारे मंत्रालय प्रदर्शन कर रहे हैं कि कैसे निर्यात बढ़ाकर देश को स्थिर किया जाए और कैसे लोगों की स्थिति में सुधार किया जा सकता है, गरीबी को कैसे समाप्त किया जा सकता है?
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इसके आगे खान ने कहा कि, निर्यात बढ़ाना, आयात प्रतिस्थापना खोजना और गरीबी दूर करना उनकी सरकार के लिए प्रथमिकता वाले क्षेत्र हैं। उन्होंने इनाम और सजा वाला एक सिस्टम स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि नौकरशाहों को पहल करने की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की शक्तियों में सुधार किया गया। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि, अब नौकरशाहों के पास पेंडिंग फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करने का कोई बहाना नहीं है। प्रभावी नीति-निर्माण और सुशासन महत्वपूर्ण है और मंत्रालयों से राष्ट्रीय हित को सबसे आगे रखने और वादों को पूरा करने के लिए 'आउट ऑफ द बॉक्स सॉल्यूशंस' अपनाने को कहा।