कांग्रेस को छोड़ कर समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्य सभा का पर्चा भरने वाले पेशे से वकील कपिल सिब्बल ने अपने लिए एक रास्ता खोलकर रखा है। वो राज्यसभा में निर्दलीय उम्मीदवार हैं। इसका मतलब है कि वो मौजूदा राजनीतिक समीकरणों की वजह से समाजवादी पार्टी की पालकी में बैठकर राज्यसभा में जा रहे हैं लेकिन अगर समाजवादी पार्टी से बेहतर खिवईया-कहार मिल गया तो राज्यसभा में उसकी पालकी में बैठ सकते हैं।
बहरहाल, यह तो निश्चित हो ही गया कि कपिल सिब्ब कांग्रेस पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 16 तारीख को पार्टी से इस्तीफा दे चुके थे। सिब्बव ने इस मौके पर सोनिया गांधी की ‘तारीफ’ भी की है। कूटनीतिक भाषा में तारीफ के क्या-क्या मायने होते हैं यह बात अब सोनिया गांधी तरह समझने लगी है। कपिल सिब्बल ने कहा- कांग्रेस छोड़ने से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और उनका व्यवहार मेरे प्रति सद्भावपूर्ण था। सिब्बल ने राहुल गांधी का जिक्र कहीं नहीं किया। मतलब यह कि कांग्रेस से सीनियर्स के इस्तीफे का कारण राहुल गांधी है? लेकिन सोनिया गांधी का व्यवहार सौहार्द्रपूर्ण है, सोनिया ही कांग्रेस की अध्यक्ष (कार्यकारी) हैं, फिर राहुल गांधी की परवाह क्यों? तो क्या सोनिया गांधी पुत्र मोह में बंधी है? ठीक उसी तरह जैसे धृतराष्ट्र को सबकुछ कबूल था लेकिन हस्तिनापुर के राजसिंहासन पर दुर्योधन ही बैठेगा।
'कांग्रेस से इस्तीफा देनाकपिल सिब्बल जैसे नेता के लिए आसानो नहीं रहा होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है, लेकिन वो हमेशा एक स्वतंत्र आवाज के तौर पर पहचान रखता रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल किया है और समाजवादी पार्टी उन्हें समर्थन कर रही है। मतलब यह है कि कपिल सिब्बल समाजवादी पार्टी में भी स्वतंत्र ही रहेंगे।
कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने 16 मई को ही कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाांधी से मीटिंग को लेकर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह निजी मुलाकात थी और उनका व्यवहार मेरे प्रति बहुत अच्छा था। बीते साल अगस्त से कांग्रेस से तनाव बढ़ने को लेकर कहा कि मुझे जो भी महसूस हुआ था, वह मैंने कहा था। अब मैं कांग्रेस से बाहर हूं और उसके आंतरिक मामले को लेकर कुछ नहीं कहूंगा। यही नहीं जी-23 के भविष्य को लेकर भी उन्होंने कहा कि मैं इससे बाहर हूं और मेरी ओर से यह चैप्टर खत्म हो गया है।
कपिल सिब्बल के सामने तृणमूल, एनसीपी, आम आदमी पार्टी जैसे कई विकल्प थे। लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जमानत दिलवाना कपिल सिब्बल के अलावा किसी और के बस की बात नहीं थी। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश ने कपिल सिब्बल को राज्यसभा की कुर्सी बिना शर्त सौंप दी।