भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही कई ऐसी मान्यताएं हैं, जिन पर आज भी कई लोग अमल कर रहे हैं। ऐसी ही एक मान्यताओं में से एक है कड़ाही में खाना ना खाना। यह मान्यता काफी पुराने समय से चली आ रही है। हम सभी बचपन ये सुनते आ रहें हैं, कि कड़ाही में खाना नहीं खाना चाहिए, जिसको आज भी लोग मानते हैं। यही नहीं अगर ऐसे में हम जल्दबाजी कर लें तो घर के बड़ों से डांट खानी पड़ती है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसी क्या वजह या कारण है, जिसके चलते कड़ाही में खाना खाने से मना किया जाता है ? भले ही नए जमाने के लोग बेशक इस बात को अंधविश्वास करार दें, लेकिन वास्तव में इस बात के पीछे भी वैज्ञानिक तथ्य छिपा है। तो आइये जानते हैं आखिर कड़ाही में खाना क्यों नहीं खाना चाहिए।
स्वास्थ्य परेशानी: पुराने समय में महिलाएं सबको खिला देने के बाद ही आखिर में बचा-कुचा खाती थीं। ऐसे में वे जल्दबाजी में कड़ाही में ही सब कुछ मिला कर खा लेती थीं, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती थी।
साफ-सफाई: पहले समय लोहे की कड़ाही में खाना बनता था जिसको पूरी तरह साफ करना आसान नहीं था। पुआल और राख से बर्तन साफ होते थे। कई जगहों पर कोयले का भी प्रयोग किया जाता था लेकिन जूठी लोहे की कड़ाही पूरी तरह से स्वच्छ नहीं हो पाती थी।
शादी में बारिश: माना जाता है कि अगर अविवाहित लड़का या लड़की कड़ाही में खाना खाते हैं, तो उनकी शादी में बारिश होती है।
आर्थिक तंगी: वहीं अगर शादीशुदा लोग कड़ाही में खाना खाते हैं, तो उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है।