सपनों की जिद ऐसी होती है कि इसके उड़ान को गरिबी तो क्या भूखमरी भी नहीं रोक पाती है। हौसला बुलंद तो जितन राम मांझी भी पहाड़ तोड़ रास्ता बना दे। जब खिलाड़ियों का नाम आता है तो इसमें कई खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिनकी कहानी इतनी दर्दभरी होती है कि जिन्हें सोच कर ही रूह कांप जाती है। आप एक बार सोचें की अगर आपको कई रातों तक सिर्फ एक वक्त ही खाना खाकर सोना पड़े। लेकिन, मेहनत में कोई कमी न हो। कई किलोमीटर तक भूखे पेट पैदल जाना हो। ये सब जिसके साथ हकिकत में होता है उसी को इसके दर्द के बारे में पता होता है। कुछ ऐसी ही कहानी ही कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने वाले मेडल जितने वाले खिलाड़ियों की। आज हम भारत नहीं बल्कि नाइजीरिया की एक खिलाड़ी के सपनों के बारे में बात करेंगे। जो न सिर्फ अपने देश बल्कि पूरी दुनिया के युवाओं के लिए प्रेरणा बनी है। वैसे नाइजीरिया का नाम सुनते ही सबसे पहले भुखमरी का ख्याल आता है। क्योंकि, बेहद ही गरीब देश है। ये देश पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। यहां की बेटी टोबी अमुसन ने विश्व एतलेटिक्स चैंपियनशिप के महिलाओं के 100 मीटर हर्डल रेस में विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए इतिहास रच दिया है। क्योंकि टोबी अमुसन नाइजीरिया के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली पहगली एथलीट बनी हैं।
टोबी अमुसन पढ़ने में काफी तेज थी और उनके पिता का सपना था कि वो अपनी बेटी को पढ़ा लिखाकर अधिकारी बनाए। लेकिन, किश्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब वो 15 साल की उम्र पहुंची तो यहां से उनकी किश्मत ने करवट ली। वो घर से पढ़ाई के लिए घर से निकलती तो सही लेकिन, इसके साथ वो एक और काम में मेहनत करने लगी। वो काम था रेस। उन्होंने अपने स्कूल के एक टूर्नामेंट में 100 मीटर रेस में भाग लिया जिसमें वो फर्स्ट आई और यहीं से उन्होंने आगे का सोच लिया कि उन्हें क्या करना है।
मां के झूठ ने बेटी के पैरों को दी रफ्तार
किताबों की दुनिया में उलझी लड़की के कदम अब लंबे-लंबे पड़ने लगे थे। कदम पिता के बनाए गए कड़ने नियमों से बगावत करने के लिए तैयार हो गए थे और ये कदम और ज्यादा उड़ान तब भरने के लिए तैयार हो गए जब मां ने बेटी के कंधे पर हाथ रखा। वो कहते हैं न कि मां में पूरी दुनिया समाई होती है वो अपने बच्चों को लिए अपने पूरे जिवन को हंसते हंसते कुर्बान कर देती है। जब मां का सिर पर साथ हो तो भला कौन अपने सपनों को छू नहीं सकता। यहां सपनों को उड़ाने छूने में मां ने मदद की। बेटी मैदन पर प्रैक्टिस के लिए जाती और जब पिता पूछते की बेटी टोबी कहां है तो बड़े आसानी से झूठ बोल देती कि, बिटिया चर्च गई है….. । मां जब झूठ बोलती है तो उसे पता होता है कि उसका ये झूठ जाया नहीं जाने वाला है। एक दिन जब सच सामने आएगा तो न सिर्फ घर के लोग बल्कि पूरी दुनिया देखेगी। आज पूरी दुनिया टोबी के जज्बे को तो सलाम कर ही रही है साथ ही उनकी मां को भी शुक्रिया कर रही है कि उन्होंने अपनी बेटी के उड़ान में पंख लगाया। बेटी के सपनों को नजरअंदाज नहीं किया।
मां के झूठ ने चैंपियन बनने में मदद की
टोबी अमुसन इस बारे में बताती हैं कि, मेरी मां ने हमेशा मेरा साथ दिया है। वो मेरे लिए ढाल बनकर खड़ी रही। पिता ने मुझे रोकने के लिए नियम बनाए थे और समय के अनुसार ही रेस की प्रैक्टिस कर सकती थी, लेकिन मां ने मुझे पूरी छूट दी। पापा जब पूछचे कि मैं कहा हूं तो वो कहती- टोबी चर्च गई है। मेरी मां के इसी झूठ ने चैंपियन बनने में मदद की।
टोबी की उड़ान काफी समय से ही जारी है। वो अपने पैरों से दुनिया के कई बड़े टूर्नामेंट को रौंदते हुए आ रही हैं। वो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं और इस बार भी वह अपने देश के लिए सबसे बड़ी उम्मीद हैं। उ्होंने 100 मीटर हर्जल रेस में 12.12 सेकंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। इसके साथ ही वो 100 मीटर, 200 मीटर रेस और लॉन्ग जंप में भी मेडल जीत चुकी हैं। पहला मेडल उन्होंने 2013 अफ्रीकी यूथ चैंपियनशिप वार्री में सिल्वर मेडल जीता था। ये किसी भी बड़े टूर्नामेंट का पहला मेडल था।