Pakistan Government Employees Salary Cut: पाकिस्तान में इस वक्त भारी आर्थिक भूचाल आया हुआ है। जो आतंकवाद को पनाह देता हो, जिसकी जडें ही आतंकवाद से हो तो फिर ऐसी स्थिति तो आनी ही है। पाकिस्तान में इस वक्त खाने के लिए लाले पड़े हुए हैं, रोटा, चावल, दाल, गेहूं, तेल हर एक चीजों की भारी कमी है। हाल यह है कि, गेहूं के लिए लोग लड़ मर रहे हैं। विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता चला जा रहा है। इधर देश में गृह युद्ध का माहौल भी पैदा हो गया है। पाकिस्तान की कंगाली का अंदाजा इसी से लगा लें कि, अब सरकारी कर्माचरियों को सैलरी (Pakistan Government Employees Salary Cut) देने के लिए सरकार के पास पैसे ही नहीं है। सरकारी कर्मचारियों को शहबाज सरकार ने बड़ा झटका देते हुए 10 फीसदी (Pakistan Government Employees Salary Cut:) सैलरी काटने की बात की है।
10 फीसदी कटेगी कर्मचारियों की सैलरी
पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली हो गया है और शहबाज शरीफ दुनियाभर से कर्ज की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच शहबाज शरीफ के अध्यक्षता वाली पाकिस्तान की एक समिति सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 10 फीसदी की कमी करने समेत कई उपायों पर विचार कर रही है। इस बीच शहबाज सरकार ने यह भी कहा है कि वह आईएमएफ से लोन के लिए गुहार लगाएगी। एक न्यूज रिपोर्ट की माने तो, प्रस्तावों के मुताबिक मंत्रालयों और डिविजनों के खर्च में 15 फीसदी की कमी की जाएगी। इसके अलावा कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों, सलाहकारों की संख्या को 78 से घटाकर 30 किया जाएगा। इन सिफारिशों को बुधवार को अंतिम रूप दिया गया। अब यह कमिटी पीएम शहबाज शरीफ को अपनी रिपोर्ट भेजेगी। एक सूत्र ने कहा कि इन मंत्रियों और सलाहकारों की संख्या को 30 किया जाएगा। जो मंत्री बचे रहेंगे उनके लिए यह भी संभव होगा कि राष्ट्रीय खजाने से पैसा नहीं दिया जाए।
मंत्रालयों पर दिल खोलकर खर्च
ये वो शहबाज सरकार है जो सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटने जा रही है तो वहीं, विभिन्न मंत्रालयों की संख्या को घटाने पर कोई काम नहीं कर रही है। वह भी जब कई मंत्रालय तो एक ही काम करते हैं। शहबाज सरकार में कई ऐसे मंत्रालय हैं जो एक ही काम को करते हैं। इसीलिए कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार को केवल 5 य 6 मंत्रालयों में ही समेट देना चाहिए। इसमें रक्षा, विदेश, वित्त और सुरक्षा शामिल हैं। इसके अलावा अन्य सभी मंत्रालयों को खत्म कर देना चाहिए। इसके अलावा कमिटी ने सुझाव दिया है कि आईएसआई के बजट में भी कमी की जाएगी। वहीं, पाकिस्तान को आईएमएफ ने ताजा कर्ज के लिए 7 शर्तें रखी थीं, जिसमें सरकारी खर्च को घटाना भी शामिल है। शहबाज सरकार आईएमएफ की शर्तों को पहले मानने के लिए तायर नहीं थी लेकिन अब तैयार हो गई है। शहबाज सरकार को यह डर सता रहा था कि आईएमएफ की शर्तों को मानने से महंगाई कई गुना बढ़ जाएगी और उनकी सरकार चुनाव में जीत नहीं पाएगी।
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