मोदी सरकार नये संसद भवन के निर्माण को लेकर दिन-तारीखों को ऐलान कर चुकी है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट (SC ) का हालिया फैसला अड़चन पैदा करने वाला है। सरकार की ओर से भूमि पूजन की तैयारियां चल रही हैं और गुरुवार यानी 10 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी<strong> नए संसद भवन</strong> के लिए<a href="https://hindi.indianarrative.com/india/new-building-of-parliament-will-be-triangular-pm-will-do-bhoomi-pujan-on-10-december-20501.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer"> भूमि पूजन</a> करेंगे। लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, इसका निर्माण कार्य अक्टूबर 2022 तक पूरा करना है।
इधर, सुप्रीम कोर्ट (SC ) ने सोमवार को <strong>सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट</strong> में शामिल नए संसद भवन के निर्माण की शुरुआत करने के लिए किए जाने वाले समारोह की घोषणा पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया। बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत होने वाले रीडेवलपमेंट प्लान सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। इस मामले में जस्टिस ए एम खानविलकर ने कहा, अदालत को उम्मीद थी कि वह एक विवेकपूर्ण मुकदमे पर सुनवाई कर रही है, लेकिन प्रतिवादी की ओर से इससे अलग ही नजरिया दिखाया गया। पीठ की ओर से कहा गया कि नए संसद भवन को लेकर कागजी कार्रवाई की जाए या नींव का पत्थर रखें जाए, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन अभी कोई निर्माण नहीं होना चाहिए।
<h3>गुरुवार को भूमि पूजन</h3>
वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने नए संसद भवन के लिए गुरुवार को भूमि पूजन रखी थी। इसे लेकर बेंच ने कहा, ऐसा नहीं सोचा था कि केन्द्र इसके निर्माण के लिए इतने आक्रामक तरीके से आगे बढ़ेगा। केन्द्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार को यह निर्देश साफ तौर पर समझना चाहिए कि जब तक मामला अदालत की ओर से तय नहीं किया जाता है, तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा।
<em>मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि जब तक कि अदालत अपना फैसला नहीं दे देती तब तक सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ों की शिफ्टिंग नहीं होगी। </em>
<h3>डीडीए की अधिसूचना को मिली है चुनौती</h3>
आपको बता दें कि 5 नवंबर को शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था। इनमें आरोप लगाया गया था कि भूमि के उपयोग में अवैध रूप से बदलाव किया गया है और अदालत से इस प्रोजेक्ट को रद्द करने का आग्रह किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विकास के लिए भूमि उपयोग में बदलाव को लेकर 21 दिसंबर, 2019 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना को चुनौती दी है।
<h3>सेंट्रल विस्टा परियोजना की परिकल्पना</h3>
साल 2019 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की परिकल्पना की गई थी। इस पुनर्विकास परियोजना में एक नए संसद भवन का निर्माण प्रस्तावित है। जो आकार में त्रिकोणीय होगा। इसके साथ ही एक केंद्रीय सचिवालय भी निर्मित किया जाएगा।
वहींं, इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक जाने वाली सड़क राजपथ में भी परिवर्तन प्रस्तावित है। इसके अलावा सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नॉर्थ व साउथ ब्लॉक को संग्रहालय में बदल दिया जाएगा और इसके स्थान पर नए भवनों का निर्माण किया जाएगा।
ऐसे ही इस क्षेत्र में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Centre for the Arts) को भी स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में विभिन्न मंत्रालयों व उनके विभागों के लिए कार्यालयों का भी निर्माण किया जाएगा।
<h3>पुनर्विकास के पीछे की जरूरत</h3>
सरकार का कहना है कि संसद भवन की सुविधाएं और बुनियादी ढांचा मौजूदा मांग को पूरा करने के लिये अपर्याप्त है। साल 2026 के बाद लोकसभा व राज्यसभा में जनसंख्या के अनुसार, निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि होनी है, ऐसे में मौज़ूदा संसद भवन आकार में छोटा है।
केंद्र सरकार के मंत्रालय व उनके विभाग अन्य क्षेत्रों में फैले हैं, जिससे अंतर-विभागीय दायित्वों के निर्वहन में अनावश्यक विलंब होता है। वहीं, मौज़ूदा भवन साल 1911 में निर्मित हैं, जिनमें अधिकांश अपने संरचनात्मक जीवन को पूर्ण कर चुके हैं।
<h3>क्या है सेंट्रल विस्टा?</h3>
दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, इंडिया गेट और अन्य राष्ट्रीय अभिलेखागार जिस क्षेत्र में स्थित हैं, उसे सामूहिक रूप से सेंट्रल विस्टा कहते हैं। इसकी लंबाई लगभग 3.2 किमी है। दिसंबर 1911 में, किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की गई थी। इसके उपरांत ही राजपथ के आस-पास के क्षेत्र में इन भवनों का निर्माण किया गया। इन भवनों के निर्माण का उत्तरदायित्व एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) व हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) को दिया गया था।
<h3>नए संसद भवन का टेंडर मिला है टाटा को</h3>
टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने पिछले महीने मौजूदा संसद भवन के पास नये भवन के निर्माण के लिए टेंडर हासिल किया था। इसका निर्माण सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत किया जा रहा है। नया संसद भवन त्रिकोणीय होगा।
<h3>नया भवन होगा बेहद आधुनिक</h3>
लोकसभा सचिवालय ने बताया कि पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग में हर सांसद के लिए अलग ऑफिस होगा और हर ऑफिस सभी आधुनिक डिजिटल तकनीकों से लैस होगा। नए संसद भवन में कॉन्स्टिट्यूशन हॉल (Constitution Hall), सांसद लॉज (MPs lounge), लाइब्रेरी, कमेटी रूम, भोजनालय और पार्किंग की व्यवस्था होगी। इस भवन में 1400 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी। लोकसभा की नई इमारत में सदन के अंदर सीटों की संख्या को इसलिए बढ़ाया जा रहा है ताकि भविष्य में लोकसभा में सीटें बढ़ती भी हैं तो किसी तरह की दिक्कत न हो।.