इन दिनों भारत के दुशमन पाकिस्तान (pakistan) के साथ रूस की दोस्ती बढ़ती जा रही है। जी हाँ, पिछले दिनों जहां रूस ने सस्ते तेल की पहली खेप भेजी तो अब वहीं पाकिस्तान को आज रूस के सस्ते तेल की दूसरी खेप मिलने जा रही है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक यह तेल आज कराची बंदरगाह पहुंच जाएगा। इससे पहले 45 हजार मीट्रिक टन रूसी तेल की पहली खेप 11 जून को कराची बंदरगाह पहुंची थी। इससे महंगाई और आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को कुछ राहत मिली थी। पाकिस्तान डिफॉल्ट होने की कगार पर है। शहबाज सरकार भारत की तरह से सस्ता रूसी तेल खरीदकर महंगाई पर काबू पाना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि इस दूसरे जहाज पर 55 हजार टन तेल लदा हुआ है। ऐसे में अब सामरिक हलके में सवाल उठाए जा रहे हैं कि पाकिस्तान और रूस के बीच इस बढ़ती दोस्ती से क्या भारत के लिए खतरा बढ़ रहा है। आइए समझते हैं
विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान (pakistan) और रूस के बीच बढ़ती दोस्ती से भारत को टेंशन नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि रूस का भारत के साथ व्यापार पाकिस्तान के मुकाबले 80 गुना ज्यादा है। भारत की अर्थव्यवस्था जहां कुलाचे मार रही है, वहीं पाकिस्तान डिफॉल्ट होने की कगार पर है। भारत और रूस के बीच 5.2 अरब डॉलर की एस-400 डील हुई है जो पाकिस्तान और रूस के बीच पिछले 10 साल में हुए व्यापार के बराबर है। इसी तरह से भारत ने पाकिस्तान के साथ ब्रह्मोस मिसाइल, युद्धपोत, परमाणु सबमरीन, टैंक, एके-203 राइफल जैसी भारी भरकम रक्षा डील की है।
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भारत और रूस के बीच तेल व्यापार रेकॉर्ड ऊंचाई पर
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के साथ हुई इस डील से रूस को अरबों डॉलर का फायदा हुआ है। भारत अभी भले ही रूस से अपने हथियारों की खरीद में विविधता ला रहा हो लेकिन अब नई दिल्ली और मास्को के बीच तेल का व्यापार अपने सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गया है। मई 2023 में रूस से भारत ने 20 लाख बैरल तेल प्रतिदिन खरीदा था। रूस फिलहाल भले ही पाकिस्तान का हथियार देने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया हो लेकिन पुतिन को भारत के साथ जुड़ने की जरूरत कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि रूस-पाकिस्तान संबंध से ज्यादा रूस-चीन दोस्ती भारत के लिए टेंशन वाली बात है। रूस पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते को बहुत संभलकर बढ़ाएगा ताकि भारत इससे नाराज न हो जाए। वहीं पीएम मोदी और पुतिन के बीच दोस्ती बहुत अलग स्तर तक पहुंच चुकी है। सोची में साल 2018 में पुतिन और मोदी के बॉडी लैंग्वेज पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं। यही नहीं रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी अक्सर भारत की यात्रा पर आते रहते हैं। वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक रूस नहीं चाहेगा कि वह चीन का जूनियर पार्टनर बने, इसलिए वह भारत के साथ दोस्ती को बरकरार रखेगा।