भारत ने घोषणा की है कि वह 26 राफेल एम (Rafale-M ) लड़ाकू विमान खरीदेगा। ये विमान अंततः भारतीय नौसेना के लिए वाहक-आधारित लड़ाकू विमानों की अगली पीढ़ी बन जाएंगे। राफेल के नौसैनिक संस्करण ने बोली प्रक्रिया में बोइंग द्वारा पेश किए गए एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉर्नेट के खिलाफ जीत हासिल की है। भारत ने आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत के लिए फ्रांस से 26 राफेल एम लड़ाकू विमान को खरीदने का समझौता किया है। राफेल एम भारतीय वायु सेना में पहले से ही शामिल राफेल का नौसैनिक वेरिएंट है। इस लड़ाकू विमान के शामिल होने से भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत में जबरदस्त इजाफा होने के आसार हैं। पिछले कई दशकों में यह पहला मौका है, जब भारतीय नौसेना के लिए लड़ाकू विमानों की खरीद की जा रही है।
भारत के लिए कितने फायदेमंद?
भारतीय नौसेना की तीन दशकों तक सेवा करने वाले पनडुब्बी विशेषज्ञ कमोडोर अनिल जय सिंह ने स्पुतनिक से कहा कि आईएनएस विक्रांत के लिए 26 राफेल-एम ( Rafale-M )लड़ाकू जेट खरीदने के भारत के फैसले से नौसेना और वायु सेना के बीच बेहतर एकीकरण होगा। भारतीय वायु सेना पहले से ही राफेल को ऑपरेट कर रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना के पास पहले से ही राफेल लड़ाकू विमान है। इससे कई मुद्दों का समाधान हो जाएगा। यह सस्ता होगा, क्योंकि इसकी मेंटीनेंस, पुर्जे, रखरखाव के लिए पारिस्थिति तंत्र पहले से ही भारत में मौजूद है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राफेल एम की खरीद से नौसेना इन सभी संसाधनों को भारतीय वायुसेना के साथ साझा करने में सक्षम होगी। वहीं, राफेल एम का रखरखाव करना भी आसान होगा।
भारत ने नौसेना के लिए अमेरिकी FA-18 Super Hornet की जगह फ्रांस के Rafale-M जेट को क्यों चुना?
अनिल जय सिंह ने कहा कि जब विमान को चुना जाता है, तो यह जरूरी नहीं है कि सबसे अच्छा लड़ाकू जेट कौन सा है: वास्तव में, सबसे अच्छा विमान या दूसरा सबसे अच्छा विमान जैसी कोई चीज नहीं होती है। इसके विपरीत, यह देखा जाता है जो भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो। अनिल जय सिंह ने कहा कि अगर भारत पूरी तरह से एक अलग विमान को खरीदता है, तो उसे मेंटीनेंस फैसिलिटी सहित उसके पुर्जों की आपूर्ति के लिए एक चेन स्थापित करना होगा। किसी भी देश के लिए इतनी कम संख्या में विमानों की खरीद के साथ उन्हें मेंटेन करके रखना मुश्किल हो सकता है।
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भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ट्विन इंजन डेक-आधारित फाइटर (TEDBF) विकसित कर रहा है। हालांकि, इसमें समय लगने की आशंका है। ऐसे में वर्तमान जरूरतों को देखते हुए राफेल-एम की खरीद की जा रही है।उन्होंने बताया कि भारत केवल 26 राफेल-एम इसलिए खरीद रहा है, क्योंकि उसे वर्तमान में आईएनएस विक्रांत के लिए सिर्फ इतने ही विमान चाहिए। भारत खुद का अपना ट्विन इंजन डेक-आधारित फाइटर (TEDBF) विकसित कर रहा है।
अमेरिका का FA-18 कितना शक्तिशाली
एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट की टॉप स्पीड 1915 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह 3330 किलोमीटर की रेंज में ऑपरेट किया जा सकता है। 2012 में इसकी एक यूनिट की कीमत 66,900,000 से 66,900,000 डॉलर बताया गया था। इस विमान में जनरल इलेक्ट्रिक का एफ 414 इंजन लगा हुआ है।इसके मुख्य उपयोगकर्ताओं में अमेरिकी नौसेना, ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और कुवैत वायु सेना शामिल हैं। सुपर हॉर्नेट मोटे तौर पर अपने पुराने वेरिएंट से लगभग 20 फीसदी बड़ा है।