क़र्ज़ में डूबे पाकिस्तान (Pakistan) की हालात बद से बदतर हो रही है। जिन्नालेंड (Pakistan) की जनता खून के आंसू रो रही है। हालत यह हो गई है की पाकिस्तान की अवाम आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई है। जनता सड़कों पर उतर चुकी है और हजारों दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद की है। चुनावों से पहले इस तरह जनता की नाराजगी शहबाज शरीफ के लिए आने वाले समय में मुश्किलें खड़ी कर सकती है। पाकिस्तान में जनता पर पहले ही महंगाई की मार पड़ रही है। लेकिन हाल ही में बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी ने उपभोक्ताओं और व्यापारियों को और भी ज्यादा निराश कर दिया है।
महंगाई से परेशान जनता को कार्यवाहक पीएम अनवार-उल-हक काकड़ ने किसी भी तरह से तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया है। इसकी जगह उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के पास बिल जमा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अंतरिम सरकार इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी बातचीत करने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस बीच जनता और व्यापारियों ने जमात ए इस्लामी के ‘बंद’ आह्वान का समर्थन किया। कराची, पेशावर , सरगोधा और शेखपुरा जैसे बड़े शहरों में दुकानें बंद रहीं।
बड़े शहरों में दिखा प्रदर्शन
ऊर्जा की बढ़ी कीमतों के विरोध में पंजाब बार काउंसिल के वकीलों ने काम का बहिष्कार किया। कराची (Pakistan) में लोगों ने शाह लतीफ कस्बे में प्रदर्शन किया और नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक को रोका। अंतरिम पीएम ने 48 घंटे में राहत देने की बात कही थी। लेकिन डेडलाइन खत्म होने के बाद भी जनता को कोई राहत नहीं मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक बिजली की कीमतों को कम करने के लिए उन्होंने IMF से बात की थी। लेकिन पाकिस्तान के अनुरोध पर अभी तक IMF ने सहमति नहीं जताई है।
IMF से नहीं मिली राहत
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ के साथ पाकिस्तानी वार्ताकार बिजली के बिल भुगतान के फॉर्मूले पर सहमति बनाने में असमर्थ रहे। इस सप्ताह पाकिस्तानी पक्ष ने बढ़े हुए बिलों में 400 यूनिट तक राहत प्रदान करने से जुड़ा प्लान रखा था। इस दौरान आईएमएफ को आश्वासन दिया गया था कि उसके किसी भी निर्धारित लक्ष्य का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
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