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तिहाड़ जेल साजिश में इस्लामिक स्टेट का हाथ! दिल्ली दंगों के हिंदू आरोपियों की हत्या कर देश में हिंसा फैलाने का था प्लान

तिहाड़ जेल साजिश में आईएस का हाथ !

तिहाड़ जेल (Tihar Jail Conspiracy) के भीतर से देश को दहलाने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इस साजिश को एक नए हथियार से अंजाम देने की प्लानिंग थी। जिसके पीछे आईएस आतंकी (IS Terror) संगठन का हाथ था। दरअसल, जनवरी के पहले हफ्ते में दिल्‍ली पुलिस ने तिहाड़ जेल से एक कॉल इंटरसेप्‍ट (Call Intercept) किया। ये कॉल जरा अलग थी। कैदी ने अपने किसी साथी या परिवार से खाने-पीने या नशे का सामान नहीं मंगवाया था। उसे चाहिए था पारा (Thermometer)।

वही तापा जिसे हम तापमान नापने के लिए इस्‍तेमाल करते हैं। पुलिसवालों ने इंटरनेट पर थोड़ी खोजबीन की और फिर उनके कान खड़े हो गए। इसके बाद एक टीम खासतौर पर लगाई गई जो पारे की इस साजिश का पर्दाफाश करने में कामयाब रही। पता चला कि जेल के भीतर से दो आतंकियों ने एक बड़ी साजिश रची थी। उनके टारगेट पर थे तिहाड़ में ही कैद दिल्‍ली दंगों के दो आरोपी।

पुलिस ने वो कॉल करने वाले 'शाहिद' और उसे रिसीव करने वाले 'असलम' पर निगरानी बढ़ाई। शाहिद कोई आम कैदी नहीं। वह गैंगरेप और मर्डर के आरोप में जेल बंद था।

2015 में उसने अपने दोस्‍त के साथ मिलकर एक महिला का गैंगरेप किया और फिर उसे बेरहमी से मार दिया। उसके दो बच्‍चों को भी नहीं छोड़ा क्‍योंकि उन्‍होंने अपराध होते देख लिया था।

असलम ने पुलिस को बताया कि उसने दवा की दुकानों से करीब 100 थर्मामीटर खरीदे। गूगल पर उनसे पारा जमा करने की जानकरी की। थर्मामीटर तोड़े और ड्रॉपर से पारा निकालकर इत्र की एक शीशी में भरा।

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस को उसने बताया कि शाहिद ने उससे ऐसा करने को कहा था। इस पारे का इस्‍तेमाल में जेल में किसी की हत्‍या करने के लिए होना था। 

IS आतंकियों के इशारे पर रची गई साजिश

स्‍पेशल सेल ने फिर शाहिद की रिमांड कोर्ट से मांगी। पूछताछ में उसने कथित तौर पर बताया कि वह अजीमुशान और अब्‍दुस सामी नाम के दो लोगों के संपर्क में आया था। ये दोनों इस्‍लामिक स्‍टेट के ऑपरेटिव्‍स हैं। इन दोनों ने शाहिद को भड़काया कि वे उन दो लोगों को मार दे जिन्‍होंने कथित तौर पर पिछले साल दंगों के दौरान एक मस्जिद को क्षतिग्रस्‍त किया और उसके समुदाय के कुछ लोगों की जान ली। शाहिद ने कहा कि उसे IS की विचारधारा के बारे में जो बताया गया, उससे वो बड़ा प्रभावित हुआ। उससे जैसा कहा गया, उसने वैसा करने की ठान ली। प्‍लान ये था कि जब कैदी साथ होंगे तो एक झगड़ा कराया जाएगा और इसी दौरान पारा उन दो कैदियों के शरीर में उतार दिया जाएगा।

पुलिस सामी और अजीमुशान से पूछताछ कर रही है। तीनों जेल नंबर 3 में मिले थे जहां पर पूरी साजिश का खाका खींचा गया। अजीमुशान के साथ आईएस मॉड्यूल में कोई यूनानी डॉक्‍टर था जिसने उसे पारा कैसे जहर का काम करता है, ये समझाया था। अजीमुशान और सामी दोनों अमरोहा टेरर मॉड्यूल से आते हैं। कई कैदियों से पूछताछ में पता चला कि ये दोनों आतंकी कौम पर अत्‍याचार हुआ है, ऐसा कहकर कैदियों को कट्टर बनाने की कोशिश कर रहे थे। तिहाड़ जेल प्रशासन अब आतंकियों पर खास नजर रख रहा है।

अब्‍दुल सामी को एनआईए ने 2015 में अरेस्‍ट किया था। अजीमुशान 2016 में अरेस्‍ट हुआ। दोनों ने 2013-15 के बीच इस्‍लामिक स्‍टेट आतंकियों की भर्ती में अहम भूमिका निभाई। ये भारत के युवाओं को कट्टर बनाकर छोटे-छोटे मॉड्यूल तैयार करते थे। अमरोहा मॉड्यूल देशभर में पैर पसार ही रहा था कि एनआईए की स्‍पेशल सेल ने उनकी धरपकड़ शुरू कर दी। एक-एक करके कुल 15आतंकियों को दबोचा गया।