कला

Deepak Raag: ‘दीपक राग’ गायन से क्या सच में जल जाते हैं दीये?

Deepak Raag के गायन मात्र से जल जाते हैं बुझे हुए दीये। संगीत विद्या के जानकारों की माने तो इस राग के गाने से दीये जल जाते हैं। साथ ही ‘दीपक राग’ देवाधिदेव महादेव के मुख से निकला हुआ राग है। इतिहासकारों की माने तो प्राचीन समय में सम्राट विक्रमादित्य इस राग को गाने में माहिर माने जाते थे।

क्या सच में ‘दीपक राग’ के गाने से दीये जल जाते हैं?

देवाधिदेव महादेव को सृष्टि के रचियता के तौर पर भी जाना जाता है। भगवान शिव में समस्त ब्रह्मांड समाया हुआ है। अर्थात भगवान शिव ही पूरे ब्रह्मांड की रचना की है। विभिन्न धर्मग्रंथों से मिली जानकारी के मुताबिक भगवान शिव को संगीत के जनक के रूप में जाना जाता है। धर्मग्रंथ की माने तो भगवान शिव के मुख से ‘दीपक राग’ उत्पन्न हुआ है।

‘दीपक राग’ भारतीय शास्त्रीय संगीत की शैलियों में से एक प्रमुख शैली है। इस राग के स्वामी सूर्य और अग्नि देवता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस राग के गायन से अग्नि प्रज्वलित हो जाती है। क्या ऐसा संभव है,जानते हैं इससे जुड़ी हुई कुछ रोचक जानकारियां।

इतिहास के पन्ने को अगर पलटकर देखें तो प्राचीन समय में एक सम्राट हुआ करते थे,जिनका नाम सम्राट विक्रमादित्य था। कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य को भी ‘दीपक राग’ गाने की अद्भुत कला आती थी। सम्राट विक्रमादित्य की जीवनी में इस बात का उल्लेख है कि सम्राट को दीपक राग की विद्या आती थी।

एक समय की बात है जब ज्योतिष शास्त्र विषय पर सम्राट और पंडितों के बीच बहस छिड़ गई। पंडितों ने सम्राट की कुंडली देखकर विक्रमादित्य को शनि उपासना की सलाह दी,लेकिन सम्राट विक्रमादित्य ने यह कहकर उनकी याचिका ठुकरा दी कि विधि के विधान के अनुरूप ही सब कुछ होता है। इसमें शनि की कोई भूमिका नहीं होती।

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हालांकि एक समय आया जब शनि देव ने सम्राट विक्रमादित्य की कठिन परीक्षा ली। और इस परिस्थिति में सम्राट ने रात के समय ‘दीपक राग’ जलाकर दीये जलाए थे।

दीपक राग से संबंधित एक प्रसंग ये भी है कि तत्कालीन समय में नगर की राजकुमारी ने प्रतिज्ञा ली थी कि जिस व्यक्ति ने दीपक राग की विद्या हासिल की होगी ,वह उसी व्यक्ति से शादी करेगी। ऐसा कहा जाता है कि नगर से सभी दीये को सम्राट विक्रमादित्य ने अपने ‘दीपक राग’ की विद्या से जला दिया, और इसके बाद राजकुमारी ने विक्रमादित्य से शादी कर ली। इसलिए दीपक राग विद्या की प्रमाणिकता है।

आधुनिक समय में तानसेन दीपक राग सही से गा सकते थे।

जानकारों की माने तो ‘दीपक राग’ को असमय गाने से तानसेन का शरीर ज्वर से पीड़ित हो गया था। और उस समय उनकी बेटी ने ‘मेघ मल्हार’ गा कर उनकी प्राणों की रक्षा की थी। हालांकि तानसेन पूरी तरह से स्वस्थ्य नहीं हो पाए और कुछ वर्षों के पश्चात उनकी मुत्यु हो गई। हालांकि ‘दीपक राग’ गाने वाले संगीत सम्राट तानसेन अंतिम व्यक्ति थे। वर्तमान में ‘दीपक राग’ विलुप्त हो गया है,उस राग को गाने वाले अब कोई नहीं है।

Disclaimer:- इस लेख में दी गई जानकारियों की सटीकता की गारंटी नहीं है। अलग-अलग माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांगो और धर्मग्रंथों स संग्रहित कर ये जानकारियां लिखी गई है। इसका उपयोग सिर्फ सूचना समझकर ही लें।किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी उपोगकर्ता की होगी।

Brajendra Nath Jha

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