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Hanuman Jayanti 2023: जानिए बालाघाट के लंगड़े हनुमान जी के बारे में सबकुछ, खास है इतिहास

Hanuman Jayanti 2023: वैज्ञानिक तरीके से बालाघाट के प्रसिद्ध लंगड़ा हनुमान मंदिर का निर्माण किया गया है। ये इस तरह से बना है, जिससे हर सुबह सूरज की पहली किरण भगवान के पैरों पर आती है। बालाघाट में चंदन नदी किनारे स्थित रामपायली नगर है जो भगवान राम की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर श्री राम बालाजी मंदिर है जो भगवान राम के साथ-साथ लंगड़े हनुमान जी के नाम से भी मशहूर है। वहीं पीपल के पेड़ के नीचे पूर्व मुखी हनुमान जी का मंदिर भी यहां स्थित है। मान्यता के मुताबिक, यहां पर हनुमान जी की मूर्ति खुद प्रकट हुई थी।

ये है लंगड़े हनुमान की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, पूर्व मुखी हनुमान जी की प्रतिमा का एक पैर जमीन पर और दूसरा बायां पैर जमीन के अंदर होने से स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम के चरण पड़ने से पदावली से रामपायली नगरी बन गई। बता दें कि ये मंदिर चंदन नदी के किनारे स्थित होने से हर रोज सूरज की पहली किरण भगवान के चरणों में पड़ती है। श्रीराम भक्त हनुमान जी की प्रतिमा मंदिर में खुद प्रकट हुई, जिसका एक पैर पाताल के अंदर है। इसलिए उन्हें लंगड़े हनुमान जी के नाम से पुकारा जाता है।

नहीं मिला मूर्ति का दूसरा पैर

सालों पहले एक समिति ने हनुमानजी की मूर्ति पेड़ के नीचे से हटाकर मंदिर में स्थापित करने की कोशिश की थी। मगर पचास फीट से अधिक गड्ढा भी खोदा गया था, लेकिन पैर का दूसरा छोर नहीं मिल पाया। मान्यता के अनुसार, भगवान हनुमान जी का पैर पाताल लोक तक गया है। मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव और कार्तिक पूर्णिमा के अलावा साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर पहुंचने वाले भक्त इन मूर्तियों की कहानियां बड़े उत्साह से सुनते हैं।

मंदिर के पुजारी गौरीशंकर दास वैष्णव ने इस मामले पर बात करते हुए बताया कि इस रामपायली मंदिर में सभी भगवान की मूर्ति स्थापित की गई थी। बस हनुमान जी की कमी थी। हनुमान जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। वह मंदिर परिसर के नीचे थी। जब मूर्ति को ऊपर लाने की कोशिश की गई तो भगवान ने स्वप्न दिया कि ‘मैं जहां हूं, मुझे वहीं रहने दिया जाए’। तब से लेकर आज तक उसी पीपल के पेड़ की नीचे हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है।

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हनुमान की मूर्ति पूर्वमुखी है

पुजारी ने बताया कि यहां पर स्थित लंगड़े हनुमान जी की प्रतिमा पूर्व मुखी है। पूर्वमुखी हनुमान जी की प्रतिमा कम ही देखने मिलती है। हनुमान जी की अधिकतर प्रतिमाएं दक्षिणमुखी हैं। इसकी वजह यह है कि हनुमान लंका गए थे, जो दक्षिण में है।

मंदिर 600 साल प्राचीन है

लंगड़े हनुमान मंदिर के पुजारी लक्ष्य वैष्णव बताते हैं कि चंदन नदी के किनारे करीब 600 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले के तत्कालीन मराठा भोषले ने मंदिर को एक किले के रूप में वैज्ञानिक ढंग से निर्माण करवाया था। मंदिर में ऐसे झरोखों का निर्माण है जिससे सूर्योदय के समय सूरज की पहली किरण भगवान के चरणों में पड़ती है। भारत के प्राचीन इंतिहास में इस मंदिर के निर्माण का उल्लेख है। सन् 1877 में तत्कालीन तहसीलदार स्वर्गीय शिवराज सिंह चौहान ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

आईएन ब्यूरो

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