कला

अब भी मौका हो जाये सावधान! क्या आप भी कागज के कप में पी रहे जहर?

Paper Cup: पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए कई तरह की चीज़े होती रहती हैं। वहीं कहीं-कहीं प्लास्टिक की जगह पेपर के भी यूज की बातें होती रहती हैं। लेकिन इसके बारे में नए अध्ययन सामने आते रहते हैं। इसी कड़ी में अब एक अध्ययन सामने आया जिसमें बताया गया कि जहरीले रसायनों से बचने के लिए पेपर कप प्लास्टिक कप का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि पेपर कप फेंके जाने के बाद प्रकृति में पहुंचने पर जीवित जीवों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। पृथ्वी के सभी हिस्सों और सभी जीवित चीजों को प्रदूषित करने वाले प्लास्टिक प्रदूषण की रिपोर्ट ने वैकल्पिक सामग्रियों की ओर बदलाव को तेज कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि पेपर कप प्लास्टिक कप की तरह ही जहरीले होते हैं।

अध्ययन में हुआ खुलासा 

दरअसल, स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय (University of Gothenburg) के शोधकर्ताओं ने तितली मच्छर के लार्वा पर विभिन्न सामग्रियों से बने डिस्पोजेबल कप के प्रभाव का परीक्षण करते हुए एक अध्ययन में यह दिखाया है। गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर बेथानी कार्नी अल्मरोथ ने कहा कि हमने कुछ सप्‍ताह के लिए कागज के कप और प्लास्टिक के कप को गीली तलछट और पानी में छोड़ दिया और देखा कि उनसे निकलने वाले रसायनों ने लार्वा को कैसे प्रभावित किया। सभी मगों ने लार्वा के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

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खाद्य पैकेजिंग सामग्री

इसके अलावा खाद्य पैकेजिंग सामग्री में उपयोग किए जाने वाले कागज की सतह पर प्‍लास्टिक की कोटिंग चढ़ाई जाती है। यह प्लास्टिक कागज को कॉफी से बचाता है।आजकल प्लास्टिक फिल्म अक्सर पॉलीलैक्टाइड, पीएलए से बनी होती है जो एक प्रकार का बायोप्लास्टिक है। बायोप्लास्टिक्स का उत्पादन जीवाश्म ईंधन की बजाय नवीकरणीय संसाधनों (पीएलए का उत्पादन आमतौर पर मक्का, कसावा या गन्ने से होता है) से किया जाता है, जैसा कि बाजार में 99 प्रतिशत प्लास्टिक के मामले में होता है।

प्लास्टिक जितने ही रसायन

पर्यावरण प्रदूषण जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, पीएलए को अक्सर बायोडिग्रेडेबल माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सही परिस्थितियों में तेल आधारित प्लास्टिक की तुलना में तेजी से टूट सकता है, लेकिन फिर भी यह जहरीला हो सकता है।बायोप्लास्टिक जब पर्यावरण में, पानी में पहुँचते हैं तो प्रभावी ढंग से नहीं टूटते हैं। अल्मरोथ ने कहा कि ऐसा जोखिम हो सकता है कि प्लास्टिक प्रकृति में बना रहे और परिणामी माइक्रोप्लास्टिक्स सामान्‍य प्‍लास्टिक की तरह ही जानवरों और मनुष्यों की आहार श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है। बायोप्लास्टिक में पारंपरिक प्लास्टिक जितने ही रसायन होते हैं।

आईएन ब्यूरो

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