उच्च मूल्यवर्ग के नोटों को वापस लेने की भारतीय रिज़र्व बैंक की घोषणा के बाद आज से 2,000 रुपये के नोटों को बदलने की क़वायद शुरू होने के कारण बैंक शाखाओं के सामने कोई घबराहट, कोई टेढ़ी-मेढ़ी क़तारें या धक्का-मुक्की नहीं हुई।
यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “काम शांति से चल रहा है, हमने कोई लंबी क़तार नहीं देखी है- हमारे कर्मचारियों के लिए कोई समस्या नहीं है।” स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इससे इतना तय है कि “कोई बखेड़ा” नहीं होने वाला
जहां आरबीआई के इस क़दम का उद्देश्य नक़ली भारतीय मुद्रा नोटों (एफआईसीएन) के प्रचलन को रोकना है, वहीं सूत्रों ने कहा कि बोर्ड भर में सुरक्षा एजेंसियां अपनी निगरानी बढ़ा रही हैं। नक़ली करेंसी का चलन न केवल अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और मुद्रास्फीति को बढ़ाता है, बल्कि यह आतंक के वित्तपोषण का भी एक स्रोत है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में गहराते संकट और भारत में आम चुनावों के नज़दीक आने के बीच नक़ली नोटों की तस्करी बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। इसलिए, 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने का आरबीआई का निर्णय भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगा।
भू-राजनीतिक और सुरक्षा विश्लेषक नविता श्रीकांत ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “भारत के ख़िलाफ़ उग्रवादी और अलगाववादी आंदोलनों से उत्पन्न होने वाले ख़तरे बढ़ गये हैं। भारत के पड़ोस में हाल के घटनाक्रम ने दक्षिण एशिया और आसियान देशों के भीतर अंतर-सरकारी स्तर पर सहयोग करने की तत्काल आवश्यकता की मांग की है।”
श्रीकांत ने कहा, “इन घटनाक्रमों में पाकिस्तान में आतंकवादी/आतंकवादी समूहों की गतिविधियों में वृद्धि के अलावा वास्तविक तालिबान अधिकारियों के तहत अफ़ग़ानिस्तान में कमज़ोर सुरक्षा तंत्र शामिल हैं।”
नक़ली नोटों को सिस्टम से ख़त्म करने के लिए बैंक अधिकारियों ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है।
आरबीआई ने पहले ही बैंक नोटों पर सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाने सहित कई उपाय किए हैं, ताकि जालसाज़ी को कठिन और मुश्किल बना दिया जा सके। जनता और नक़दी संचालकों के लिए ज़ोरदार जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं।
पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले तीन साल में 137 करोड़ रुपए की फ़ेस वैल्यू वाले नक़ली नोट बरामद किये गये हैं।
पिछले साल भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मई में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला था कि बैंकिंग प्रणाली द्वारा 2021-22 में पकड़े गये 500 मूल्यवर्ग के नक़ली नोटों की संख्या 79,669 थी,यानी पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी अधिक । इसी तरह, 2,000 रुपये के नक़ली नोटों के 13,604 नोट बरामद किये गये थे,जो कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 54.6 प्रतिशत की वृद्धि है।
2020-21 में नक़ली नोटों के प्रचलन में गिरावट आयी थी। लेकिन, अगले ही साल नक़ली नोटों का चलन एक बार फिर बढ़ गया। 2019-20 के दौरान 2,96,695 जाली नोट ज़ब्त किए गए।
2021 के अंत में ढाका पुलिस ने पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे नक़ली मुद्रा रैकेट का भंडाफोड़ किया था। सात करोड़ रुपये की नक़ली करेंसी बरामद की गयी है। पाकिस्तान में बने नक़ली नोटों को विभिन्न मार्गों से बांग्लादेश भेजा जा रहा था, जिन्हें भारत में पंप किया जाना था। ऐसे उदाहरण आम हैं।
नक़ली करेंसी नोटों की तस्करी और प्रचलन को रोकने और उनका मुक़ाबला करने के लिए भारत और बांग्लादेश पहले ही एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। टेरर फंडिंग और नक़ली करेंसी के मामलों की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के तत्वावधान में टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी (टीएफएफसी) सेल का भी गठन किया गया है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने कहा है कि जाली मुद्रा का ख़तरा एक वैश्विक घटना है। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि करेंसी डिज़ाइन और सुरक्षा सुविधाओं में नियमित आवधिक परिवर्तनों के साथ तालमेल रखने के लिए मुद्रा जालसाज़ सुधार करना जारी रखते हैं और नई तकनीकों का लाभ उठाते हैं।
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