UPI के बाद अब दुनिया में रुपये की धाक जमने वाली है। रुपए के तेवर चढ़ने के बाद अमेकिरा की बादशाहत ख़त्म हो सकता है। फिलहाल दुनिया के फाइनेंशियल सिस्टम में अमेरिका का डंका बजता है। दो देशों के बीच फंड्स और इक्विटी के ट्रांसफर के लिए उसके स्विफ्ट सिस्टम का इस्तेमाल होता है। लेकिन जल्दी ही यह व्यवस्था बदल सकती है। स्विफ्ट की तर्ज पर भारत अपनी फाइनेंस मेसेजिंग सिस्टम बना रहा है।
दरअसल, UPI के बाद भारत अमेरिका के स्विफ्ट की तर्ज पर एक सिस्टम भारत भी बनाने जा रहा है,जिससे रुपए के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकाने का प्लान है। इसके हो जाने से द्विपक्षीय व्यापार रुपए के सेटल करने में मदद मिल सकती है।
बता दें कि UPI का पूरी दुनिया में डंका बज रहा है। फ्रांस समेत दुनिया के कई देश इसे अपना चुके हैं और कई लाइन में खड़े हैं। अमेरिका में भी इसे अपनाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस बीच भारत ने अमेरिका के स्विफ्ट (Society for Worldwide Interbank Fiancial Telecommunications) की तर्ज पर अपने इंटरनेशनल फाइनेंसिंग मेसेजिंग सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया है।
अमेरिका SWIFT के जरिए दुनियाभर में एक देश से दूसरे देश में फंड्स और सिक्योरिटी को ट्रांसफर करने के लिए इसका इस्तेमाल करता है।और इसी सिस्टम के दम पर अमेरिका पूरी दुनिया पर व्यापारिक दृष्टिकोण से राज करता है।लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के इन प्रयासों के बाद अगर सबकुछ ठीक रहा तो अमेरिका की ये बादशाहत जल्द ही ख़त्म हो जाएगी।
भारत सरकार की ओर से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रूपए को अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में बढ़ावा देने के लिए एक मिशन पर काम कर रही है। भारत सरकार इसके लिए एक व्यापक प्लान भी बनाया है। सरकार अमेरिका के SWIFT के तर्ज पर ही एक ऐसा सिस्टम डेवलप करने में लगा हुआ है जिससे रुपए को अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए धड़ल्ले से प्रयोग में लाया जा सके। इस सिस्टम से द्विपक्षीय व्यापार को रुपये में सेटल करने में मदद मिलेगी।
जानकारी के मुताबिक बैंकरों की एक एक्सपर्ट कमेटी इस पर काम कर रही है। बैंकरों की यह कमेटी अगले महीने अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप सकती है। इस कमेटी में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत कई बैंकों के सदस्य शामिल हैं।
एक बैंक अधिकारी के मुताबिक इंडिपेंडेंट फाइनेंसिंग मेसेजिंग सिस्टम के बारे में भी एक सुझाव आया है। बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट्स वाले देशों के साथ इसका यूज किया जा सकता है। कमेटी यह सुझाव देगी कि सिस्टम को कैसे ऑपरेशनल बनाया जा सकता है और इसमें क्या-क्या चुनौतियां हैं। इसके बाद आरबीआई समेत दूसरे स्टेकहोल्डर्स के साथ इस पर चर्चा होगी।
अब इन देशों में चलेगा भारत का सिक्का
वहीं, एक अधिकारी का कहना है कि कमेटी आरबीआई के मौजूदा प्लेटफॉर्म एसएफएमएस (स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मेसेजिंग सिस्टम) पर विचार करेगी। हम यह देखेंगे कि इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है। एसएफएमएस को स्विफ्ट की तर्ज पर बनाया गया है। इसे बैंकों के बीच कम्युनिकेशन सिक्योर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
दुनिया में अब रुपये में होगा कारोबार
आरबीआई ने 2022 में अपने विजन डॉक्यूमेंट में इस सिस्टम के दायरे को बढ़ाने की बात कही थी। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये को बढ़ावा देने के लिए बैंकों से इंटरनेशनल ट्रेडिंग कम्युनिटी के साथ आउटरीच प्रोग्राम चलाने को कहा है। अब तक 22 देशों के 20 बैंक 92 स्पेशल रुपी वोस्ट्रो अकाउंट्स (SVAs) खोल चुके हैं।
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