भारत 17-धातु दुर्लभ भू-तत्वों सहित खनिजों की एक स्थायी आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से आगे जा रहा है। अब उसकी नज़र अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली सहित दक्षिण अमेरिकी देशों के बड़े खनिज संसाधनों पर है। बोलिविया जैसे कई खनिज समृद्ध देश अब भी अप्रयुक्त हैं और “विशाल अवसर” प्रदान करते हैं। इसके अलावा, रूस भी दुर्लभ भू-खनिज भंडार के समृद्ध ढेर पर बैठा है।
ओएनजीसी विदेश लिमिटेड की तर्ज पर 2019 में स्थापित नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) और मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड (एमईसीएल) के बीच एक संयुक्त उद्यम खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड ने अप्रयुक्त लैटिन अमेरिकी बाज़ार की तरफ़ देखना शुरू कर दिया है।
चिह्नित किये जाने और अधिग्रहण से शुरू होकर, KABIL से अन्वेषण और विकास गतिविधियों को भी अंजाम देने की उम्मीद है।
इस समय चीन दुर्लभ भू-खनिजों में दुनिया के उत्पादन का नेतृत्व करता है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने खुलासा किया है कि लैटिन अमेरिका ने अभी तक अपनी क्षमता के अनुरूप पर्याप्त निवेश आकर्षित नहीं किया है। कहा गया है कि निकल और दुर्लभ भू-तत्वों के लिए वैश्विक अन्वेषण बजट का मात्र 7 प्रतिशत ही इस क्षेत्र को आवंटित किया गया है।
आईईए ने तो यह भी बताया कि है खनन, जो ऐतिहासिक रूप से लैटिन अमेरिका के आने वाले विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के 13 प्रतिशत और 19 प्रतिशत के बीच है, “महान विकास क्षमता” प्रदान करता है, हालांकि यह “पर्यावरणीय गिरावट के उच्च जोखिम” से भी भरा हुआ है और स्थानीय समुदायों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव होना है।
इस बीच प्रतिबंधों के चलते दुर्लभ भू-खनन में धीमी शुरुआत करने वाला रूस भी अब इन महत्वपूर्ण तत्वों के लिए अपनी आपूर्ति श्रृंखला को आक्रामक रूप से विकसित कर रहा है। नई दिल्ली रूस के साथ खनिजों में व्यापार के अवसरों को गहरा कर सकती है। उद्योग मंडल के एक सदस्य ने कहा, ‘भारत और रूस व्यापार साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र पर विचार कर सकते हैं।’
भारत के सामने खनिज सुरक्षा का सवाल है और भारत का लक्ष्य 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है।उद्योग मंडल के सदस्य ने कहा, “आज की दुनिया में खनिज सुरक्षा ऊर्जा और भोजन जितनी ही महत्वपूर्ण है।” कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि भविष्य में युद्ध केवल ऊर्जा और भोजन तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इसकी आंच खनिजों तक भी जायेगी ।
तक्षशिला शोध के अनुसार “भारत को न केवल दुर्लभ भृ-क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना चाहिए, बल्कि विश्व स्तर पर एक प्रमुख घटक बनने के लिए वर्तमान भू-राजनीतिक और व्यापार की स्थिति का भी लाभ उठाना चाहिए।” हालांकि, इसके लिए दुर्लभ भू-खनन को उदार बनाने, निष्कर्षण, उत्पादन और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने और नवीकरणीय और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र सहित उच्च मूल्य की आपूर्ति श्रृंखला बनाने की आवश्यकता होगी।
सवाल है कि भारत के लिए खनिज सुरक्षा क्यों महत्वपूर्ण है ?
स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कई खनिज और दुर्लभ भू-घटक महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, ये घटक, जो अन्यथा बहुत दुर्लभ तो नहीं हैं, भले ही उनका खनन एक कठिन और जोखिम भरा अभ्यास ज़रूर है, बिजली के वाहनों, रक्षा उपकरण, स्मार्टफोन, बैटरी, टेलीविजन सेट और कंप्यूटर के लिए आवश्यक बुनियादी कच्चे माल भी हैं।
भारत के पास पांचवां सबसे बड़ा दुर्लभ भू-खनिज भंडार है, लेकिन इसका उत्पादन कम होता है। जहां भारत खनिज सुरक्षा प्राप्त करने के लिए देश के भीतर दुर्लभ भू-खनिजों को खनन करने के तरीकों की खोज कर रहा है, वहीं अपनी सीमाओं के बाहर बाज़ारों पर भी इसकी नज़र है।
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