मई में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दो साल के निचले स्तर,यानी 4.25% से अधिक है।इस महीने के दौरान खाद्य कीमतों में कमी आयी,इसकी पुष्टि में सोमवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति फलों और खाना पकाने के तेलों की क़ीमतों में गिरावट के कारण कम हुई, हालांकि दूध, सब्ज़ियों और दालों की क़ीमतों में वृद्धि जारी रही।’
मुद्रास्फीति में गिरावट उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आती है और इससे आरबीआई को आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रमुख ब्याज़ दरों को कम करने के लिए अधिक गुंज़ाइश मिलती है।
खुदरा मुद्रास्फीति उस राशि को दर्शाती है, जिसे उपभोक्ता वास्तव में सामान खरीदने के लिए भुगतान करते हैं और यह भारत में अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। कुछ उन्नत देशों जैसे यूके में मुद्रास्फीति उस समय 10 प्रतिशत के स्तर को पार कर गयी थी।
इस गिरावट ने आरबीआई को प्रमुख ब्याज़ दरों को बढ़ाने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए एक कठोर मुद्रा नीति का पालन करने के लिए प्रेरित किया था। हालांकि, दूसरा पहलू यह भी है कि उच्च ब्याज़ दरों के साथ निवेश और खपत में गिरावट आती है, जो कि विकास को धीमा कर देती है।
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