भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मई में 4.25 प्रतिशत तक कम हो गया है।यह पिछले 25 महीने का निचला स्तर है। देश की खाद्य मुद्रास्फीति पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 2.91 प्रतिशत थी। और अब चूंकि रबी की फ़सलें बाज़ारों में आनी शुरू हो गयी हैं,इसलिए नीति निर्माताओं को उम्मीद है कि एल नीनो की स्थिति पर चिंता के बावजूद खाद्य आपूर्ति पक्ष पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं होगा। इसके अलावा, वैश्विक तेल और कमोडिटी की क़ीमतों में भी नरमी के संकेत मिले हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के पिछले महीने जारी पूर्वानुमान के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून मौसमी बारिश- जून और सितंबर के बीच समग्र रूप से सामान्य रहने की संभावना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “जहां हमें सावधान रहने की ज़रूरत है,वहीं आईएमडी ने कमोबेश एक सामान्य स्थिति की भविष्यवाणी की है। इसलिए इस बिंदु पर किसी भी तरह से चेतावनी जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है.. फिलहाल हम एक अच्छे ख़रीफ़ उत्पादन के प्रति आशान्वित हैं।”
कृषि क्षेत्र पर नज़र रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि ख़रीफ़ सीज़न के दौरान फ़सलों की बुवाई, जो अभी शुरू हुई है, सामान्य रहने की उम्मीद है। अप्रैल और मई में बेमौसम बारिश के बावजूद मिट्टी मिलाने और जुताई जैसी तैयारियां बिना किसी परेशानी के पहले ही पूरी कर ली गयी हैं।
असल बात तो यही है कि पिछले महीने की बारिश ने कपास और गन्ना जैसी कुछ प्रमुख फ़सलों की बुवाई में मदद ही की है।
एक ख़राब मानसून का भारत की आर्थिक सुधार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे खाद्य क़ीमतों और समग्र मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है और खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। शुद्ध बोये गये क्षेत्र के लगभग 60 प्रतिशत भाग की सिंचाई मानसून पर ही निर्भर होती है।
इस साल जनवरी और फ़रवरी में खाद्य मुद्रास्फीति का आंकड़ा क्रमश: 5.94 फ़ीसदी और 5.95 फ़ीसदी था। मार्च में यह घटकर 4.79 फ़ीसदी पर आ गया और फिर अप्रैल में यह आंकड़ा 3.84 फ़ीसदी था।
अन्य दक्षिण एशियाई देशों में खाद्य क़ीमतें
कई अन्य दक्षिण एशियाई देश उच्च खाद्य क़ीमतों से जूझ रहे हैं। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान में खाद्य मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 48.65 प्रतिशत हो गयी थी, जो कि खाद्य की भारी कमी से प्रेरित थी। श्रीलंका की खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने 21.5 प्रतिशत थी, लेकिन पिछले महीने दर्ज की गयी 30.6 की तुलना में इस आंकड़े में काफी सुधार हुआ है। नेपाल की खाद्य मुद्रास्फीति 5.54 प्रतिशत और बांग्लादेश की 9.24 प्रतिशत थी।
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