पाकिस्तान आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। IMF में गुहार लगाने के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की ओर से तीन अरब डॉलर की मदद का ऐलान किया गया है। लेकिन यह मदद मिलेगी या नहीं यह निर्णय इस महीने होगा। और सवाल है कि क्या IMF इस मदद से पाकिस्तान आर्थिक संकट से बाहर निकल पाएगा।
भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को पिछले दिनों IMF की ओर से थोड़ी सी राहत भरी ख़बर मिली है।पाकिस्तान के सामने कुछ दिनों के लिए आर्थिक संकट तो टल गया है,लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए राजनीतिक और सैन्य संकट के साथ-साथ जिस तरह से संसद और न्यायपालिक में टकराव देखी जा रही है,उससे तो यही लगता है कि पाकिस्तान के लिए चुनौतियां मुंह बाए खड़ी है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई और सेना के बीच हो रहे टकराव ने हालातों को और जटिल बना दिया है। हालांकि पिछले दिनों हुए कुछ घटनाक्रम पर गौर करें तो पाकिस्तान में स्थिति पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन सच्चाई क्या है,क्या वाकई पाकिस्तान में स्थिति सामान्य हो रही है ये आने वाला वक्त ही बताएगा।
जिस तरह जून के आख़िरी हफ्ते में संसद ने चुनाव संसोधन बिल 2023 को मंजूरी दी है,इसके तहत पाकिस्तान चुनाव आयोग को एक मात्र जिम्मेदारी दी गई है कि चुनाव कब कराना है। अब पाकिस्तान के राष्ट्रपति की जगह चुनाव कराना है इसका निर्णय पाकिस्तान चुनाव आयोग को लेना है। मार्च 2023 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति के द्वारा संसद के सलाह के बिना पंजाब प्रांतीय विधानसभा के लिए चुनाव की तारिखों की घोषणा के बाद वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने भी राष्ट्रपति के इस निर्णय को वैध ठहराया। और इस निर्णय के बाद से ही पाकिस्तानी संसद और न्यायालय के बीच ठकराव की स्थिति बन गई। जिसके बाद पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता देखी गई।
इधर चुनाव में देरी होने का सीधा फायदा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी को होगा। जिसका विरोध इमरान शुरु से कर रहे हैं। नए कानून के आने से पाकिस्तान के निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ वतन वापस लौट सकते हैं,और आगामी चुनाव लड़ सकते हैं। अगर नवाज वतन लौटे और चुनाव में हिस्सा लेते हैं,तो इसका सीधा फायदा नवाज शरीफ को पहुंचेगा।
जून तक पाकिस्तान आर्थिक मंदी और डिफॉल्ट का सामना कर रहा था। आईएमएफ के साथ कई दौर के बैठकों के बाद भी किसी समझौते का कोई संकेत नहीं मिल रहा था। विस्तारित फंड सुविधा के तहत पहले आईएमएफ कार्यक्रम 30 जून तक समाप्त होना था। लेकिन इस बीच हाई लेवल मीटिंग्स के कई दौर चले और पाकिस्तान की सरकार और संगठन के बीच जारी मतभेदों को हल निकल आया। इधर IMF की और से पाकिस्तान को तीन अरब डॉलर का नया स्टैंडबाय एग्रीमेंट को मंजूरी मिल गई ।और इस तरह पाकिस्तान के आगे डिफाल्ट का ख़तरा कुछ दिनों के लिए कम हो गया है।
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