भले ही भारत ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी वह उन देशों को अनाज की आपूर्ति जारी रखेगा जो भू-राजनीतिक बदलाव और काला सागर अनाज पहल से जुड़ी अनिश्चितता के मद्देनजर नई दिल्ली की सहायता चाहते हैं। सूत्रों ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि नई दिल्ली खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ग्लोबल साउथ की पहल का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटेगी। जबकि प्रतिबंध लगाने का निर्णय देश में असमान बारिश के कारण लिया गया था, जिससे घरेलू खाद्य कीमतें बढ़ गई हैं, उन्होंने कहा कि स्थिति में सुधार होने पर कुछ महीनों में इसकी समीक्षा की जा सकती है।
किसान संगठनों ने कहा कि उत्पादन की स्थिति पर स्पष्टता के लिए अगले 15 दिनों में बारिश का पैटर्न महत्वपूर्ण होगा। जहां कई राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, वहीं पश्चिम बंगाल और असम जैसे कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई है। चावल के दो प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में बाढ़ आ गयी है। इससे नीति निर्माताओं में चिंता पैदा हो गयी है।
एक अधिकारी ने कहा कि अब मानसून की स्थिति स्थिर होती दिख रही है, इसलिए (प्रतिबंध पर) निर्णय की समीक्षा की जा सकती है। लेकिन, मौजूदा हालात और महंगाई को देखते हुए सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। प्राथमिकता हमारे अपने लोगों के लिए खाद्य आपूर्ति होनी चाहिए और इससे समझौता नहीं किया जायेगा।
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, जो वैश्विक आपूर्ति का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है।
हालांकि, असमान बारिश के पैटर्न के कारण कुछ राज्यों में धान की बुआई में देरी हुई है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि अभी घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। अधिकारी ने कहा, “अगर अगले कुछ दिनों में बारिश का पैटर्न सामान्य हो जाता है, तो फ़सलों पर असर नहीं पड़ेगा।”
भारत में लगभग 60 प्रतिशत चावल की बुआई ख़रीफ़ सीज़न के दौरान होती है। चावल का शेष उत्पादन रबी चक्र के दौरान सर्दियों के महीनों में होता है।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक विनोद कौल ने बताया कि इस साल निर्यात प्रभावित होगा।कॉल ने कहा, “यह प्रतिबंध देश में असमान बारिश के कारण है, जिससे बुआई प्रभावित हुई है, लेकिन हमें उम्मीद है कि स्थिति में सुधार होगा। पिछले साल भी बुआई देर से शुरू हुई थी और अफरा-तफरी मच गई थी। लेकिन, अंत में अनाज के कुल उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा था।”
भारत के कृषि-उत्पादन और निर्यात का खाद्य सुरक्षा पर वैश्विक प्रभाव पड़ता है। भारत लगभग 14o देशों में चावल भेजता है।
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