अपनी सभी बिजली उपभोग आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 100 प्रतिशत आत्मनिर्भर बनने तथा राष्ट्रीय सौर बिजली लक्ष्यों में योगदान देने के लिए भारतीय रेल ने अभी तक 960 से अधिक स्टेशनों का सौरकरण कर दिया है। 550 स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाने का काम जारी है, जिसके लिए 198 मेगावॉट के सोलर रूफटाप क्षमता के लिए आर्डर दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल ने अभी हाल में अग्रणी सौर बिजली डेवलेपरों की एक बैठक का आयोजन किया था जिन्होंने 2030 से पहले ‘निवल शून्य कार्बन उत्सर्जक‘ बनने की भारतीय रेल की यात्रा में साझीदार बनने की अपनी अपेक्षाओं को साझा किया था। भारतीय रेल 2030 तक 33 अरब यूनिट से अधिक की अपनी सारी ऊर्जा उपभोग आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा उत्पादित करने के लिए तैयार है। वर्तमान में वार्षिक आवश्यकता लगभग 20 अरब यूनिट की है।
भारतीय रेल ने 2030 तक अपनी खाली भूमि के उपयोग के द्वारा 20 जीडब्ल्यू क्षमता के सौर संयंत्रों को संस्थापित करने की मेगा योजना बनाई है। जिनका सौरकरण हो चुका है, उनमें से कुछ स्टेशन हैं-वाराणसी, नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, जयपुर, सिकंदराबाद, कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद, हावड़ा आदि।
भारतीय रेल के पास लगभग 51,000 हेक्टेयर रिक्त भूमि उपलब्ध है और अब वह डेवेलपरों को रेलवे की अनधिग्रहित रिक्त भूमि पर सौर बिजली संयंत्र संस्थापित करने के लिए सभी सहायता देने को तैयार है। उल्लेखनीय है कि रेलवे 2023 तक 100 प्रतिशत विद्युतीकरण अर्जित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल अपनी ट्रैक्शन पॉवर आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने एवं पूरी तरह ‘परिवहन का हरित मोड‘ बनने के लिए प्रतिबद्ध है। यह रेलवे स्टेशनों का सौरकरण करने एवं नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं के लिए रिक्त रेल भूमि का उपयोग करने के माननीय प्रधानमंत्री के निर्देश की तर्ज पर है।
सौर बिजली का उपयोग ‘निवल शून्य कार्बन उत्सर्जन रेलवे‘ बनने के लक्ष्य को अर्जित करने के रेलवे के मिशन में तेजी लाएगा। इसके अर्जित करने के लिए भारतीय रेल ने 2030 तक अपनी खाली भूमि के उपयोग के द्वारा 20 जीडब्ल्यू क्षमता के सौर संयंत्रों को संस्थापित करने की मेगा योजना बनाई है।
इस संबंध में, आरंभ में भारतीय रेल की एक पीएसयू रेलवे एनर्जी मैनेजमेट कंपनी लिमिटेड (आइईएमसीएल) द्वारा पहले ही रेलवे ट्रैक के साथ साथ रिक्त रेल भूमि पार्सलों एवं भूमिक पार्सलों पर 3 जीडब्ल्यू सौर परियोजनाओं के लिए बोली आमंत्रित की जा चुकी है। कम प्रशुल्क पर रेलवे को बिजली की आपूर्ति करने के अतिरिक्त, ये सौर परियोजनाएं ट्रैक के साथ साथ चारदीवारी के निर्माण के द्वारा रेलवे की भूमि की सुरक्षा भी करेंगी।.
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