अर्थव्यवस्था

2022-23 में भारत का 7.2% की दर से विकास: विशेषज्ञों की राय

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च (Q4) 2023 में 6.1 प्रतिशत बढ़ी है। अक्टूबर-दिसंबर (Q3) 2022 में देश की GDP वृद्धि 4.4 प्रतिशत थी।

 

जीडीपी संख्या पर विश्लेषकों और विशेषज्ञों के विचारों के कुछ अंश निम्नलिखित हैं:

 

साकेत डालमिया, अध्यक्ष, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का अंशांकित दृष्टिकोण उत्साहजनक है और हम आशा करते हैं कि भारत निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना रहेगा।

सेवाओं, निर्माण और बिजली क्षेत्रों की वृद्धि अत्यधिक प्रशंसनीय है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में मैन्युफैक्चरिंग की वृद्धि भी व्यापार करने में आसानी, छोटे-मोटे अपराधों को कम करने और राज्यों में मज़बूत सिंगल विंडो की मदद से मज़बूत हो रही है।

 

धर्मकीर्ति जोशी, मुख्य अर्थशास्त्री, क्रिसिल

वित्तीय वर्ष 2023 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत से यह संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। महत्वपूर्ण रूप से यह वृद्धि एक उच्च आधार पर आती है,और वह है – वित्त वर्ष 2022 के आंकड़ों के ऊपर की ओर संशोधन के कारण।

चौथी तिमाही में शुद्ध व्यापार कम था और मज़बूत घरेलू सेवाओं ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के फ़रवरी के अनुमान में निहित 5.1 प्रतिशत से चौथी तिमाही की वृद्धि को 6.1 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। चौथी तिमाही में 5.5 फ़ीसदी की वृद्धि के साथ कृषि में हुई बढ़त भी चौंकाने वाली है।

हमारा अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था धीमी होते हुए भी 6% तक ही धीमी रहेगी, क्योंकि दुनिया में मंदी का असर निर्यात पर पड़ा है और संवेदनशील क्षेत्रों पर ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी का कुछ प्रभाव पड़ा है। 6% पर भी भारत इस वित्तीय वर्ष में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली G-20 अर्थव्यवस्था होगी। जहां तक कृषि उत्पादन और क़ीमतों की बात है, तो निगाहें मानसून पर टिकी हैं।

 

निरंजन हीरानंदानी, नारेडको के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

इंडिया इंक ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के तहत अनुमान से अधिक 6.1 प्रतिशत दर्ज की गयी इस जीडीपी वृद्धि की सराहना की है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने क्षमता वृद्धि, क्षमता उपयोग में वृद्धि के साथ कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) में वृद्धि, प्रमुख उद्योगों के लचीले प्रदर्शन, बुनियादी ढांचे के विकास और भू-राजनीतिक सामंजस्य के संदर्भ में अपने वैश्विक साथियों को पीछे छोड़ दिया है। भारत की अर्थव्यवस्था का अंतर्निहित विकास महत्वपूर्ण है और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वास सूचकांक को बढ़ावा देने के लिहाज़ से अच्छा होगा। इस प्रकार, अब हम मुद्रास्फीति को धीमा करने और विकास को गति देने के साथ-साथ कुछ ब्याज दरों में कटौती की आशा करते हैं।

 

अनीता रंगन, अर्थशास्त्री, इक्विरस इंडिया जीडीपी

भारत FY23 सकल घरेलू उत्पाद 7.2 प्रतिशत पर आ गया है, जो कि सब -7 प्रतिशत के आम अनुमान और 7 प्रतिशत के दूसरे अग्रिम अनुमान से बहुत ही अधिक है। यह दर्शाता है कि बाहरी प्रतिकूल वातावरण के बावजूद भारत की वृद्धि मज़बूत हो रही है। जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) 7 प्रतिशत पर आया। उद्योग की ओर से संशोधन अपेक्षा से बेहतर कृषि उत्पादन और खनन से आता है और क्यू 4 विनिर्माण में कुछ पुनरुद्धार के साथ विनिर्माण में ऊपर की ओर संशोधन होता है, शायद ऐसा आगे (कम तेल, रुपये की कमज़ोरी) दिखाने वाले शुद्ध निर्यात के कारण होता है।

व्यय पक्ष से वृद्धि निजी खपत और कैपेक्स से है, जो अनुमान से अधिक है, जबकि सरकारी खपत धीमी है। शुद्ध निर्यात भी उम्मीद से बेहतर रहा। यह फिर से ज़मीनी गतिविधियों का प्रतिबिंब है, जिसमें घरेलू मांग लचीली है, और सरकार कैपेक्स ख़र्च का भार उठा रही है, जबकि सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए अपने राजस्व खर्च को जानबूझकर सीमित करने की कोशिश कर रही है।

कुल मिलाकर, अपेक्षा से बेहतर जीडीपी का यह डेटा एक बार फिर से भारत के आर्थिक लचीलेपन का प्रमाण है और यह तब है, जब शेष विश्व मंदी या स्लोडाउन के रास्ते पर है। जबकि बाहरी विपरीत परिस्थितियां बनी हुई हैं, लेकिन इस वर्ष और उसके बाद भी भारत के चमकते सितारे बने रहने की संभावना है।

 

विवेक राठी, निदेशक अनुसंधान, नाइट फ्रैंक इंडिया

घरेलू निवेश ने भी कुछ मज़बूती का संकेत दिया है, जैसा कि जीसीएफ में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि में देखा गया है। लंबी अवधि के आर्थिक विकास को बनाये रखने के लिए निवेश में वृद्धि महत्वपूर्ण है।

अब तक आक्रामक ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी और उपभोक्ता मुद्रास्फीति से उत्पन्न कई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र मज़बूत बना हुआ है। यह घर के स्वामित्व के प्रति मज़बूत उपभोक्ता वरीयताओं को इंगित करता है। चूंकि रियल एस्टेट एक व्युत्पन्न मांग है,ऐसे में आर्थिक विकास में आती निरंतरता इस क्षेत्र के लिए फ़ायदेमंद है।

आगे बढ़ते हुए बुनियादी ढांचे के ख़र्च के लिए उच्च आवंटन, और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नीतियां जैसे पीएलआई भारत के दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए सहायक होनी चाहिए।

आईएन ब्यूरो

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