'एक जनपद एक उत्पाद' ने यूपी के परंपरागत उद्योगों में फूंकी नई जान

एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना की सफलता ने उत्तर प्रदेश के परंपरागत उद्योगों में नई जान फूंक दी है। इसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े स्तर पर खाका तैयार किया है। जो धरातल पर दिखाई देने लगा है। इस योजना के माध्यम से सभी 75 जिलों के अलग-अलग उत्पादों को नई पहचान दी गई है। ओडीओपी ने विश्व में अपनी अलग पहचान बना ली है। इससे यूपी की छवि में निखार आ रहा है।

उद्योग विभाग ने नीतियां बनाने से लेकर पिछले तीन साल में करीब 2,600 उद्यमियों को 82 करोड़ 83 लाख रुपये की आर्थिक मदद भी की है। इन उद्योगों में 28 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिले हैं।

एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि ओडीओपी के 11 हजार उत्पाद ऑमेजन पर उपलब्ध हैं और 24 करोड़ की कीमत के 50 हजार उत्पादों की बिक्री भी हुई है। इसके अलावा विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 916 उद्यमियों को 31 करोड़ 34 लाख रुपये की मदद दी गई है। साथ ही इससे 10 हजार 733 लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं।

इसी तरह 2019-20 में 1442 उद्यमियों को 43 करोड़ 53 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई और 15 हजार 253 लोगों को रोजगार भी मिला है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अगस्त माह तक 236 उद्यमियों को करीब 7 करोड़ 96 लाख रुपये की मदद दी गई है और 2,114 को लोगों को रोजगार मिला है।

<img class="wp-image-17301 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/ODOP..jpg" alt="ODOP." width="600" height="205" /> 2018-19 में ओडीओपी का कुल निर्यात 28 फीसद बढ़ा।

2018-19 में ओडीओपी का कुल निर्यात 28 फीसद बढ़कर एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सहगल ने कहा कि ओडीओपी उद्यमियों की समस्याओं का प्राथमिकता पर निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष करने के लिए अपग्रेडेड मशीनें, ट्रेनिंग और आर्थिक मदद भी की जा रही है।

वेस्टर्न यूपी चैंबर एंड कामर्स के भूतपूर्व सेक्रेटरी आर.के. जैन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद औद्योगिक क्षेत्र के हालात में बदलाव देखने को मिला है। खासकर परंपरागत उद्योगों को लेकर प्रदेश सरकार की मुहिम सराहनीय है। सरकार उद्यमियों की समस्याओं का समाधान भी कर रही है, जिससे जिलेवार परंपरागत उद्योगों का उत्पादन बढ़ा है। मसलन, सहारनपुर में वुड कार्विंग उद्योग एक अरसे से पुराने ढंग से काम करता आ रहा है, उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत थी। अब सरकार की ओर से ट्रेनिंग के लिए सहायता की जा रही है। इससे उनके उत्पादों में निखार आएगा।.

डॉ. शफी अयूब खान

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