नरेश गोयल कभी 300 रुपये मासिक पगार पर करते थे नौकरी,लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे। लेकिन वक्त और मेहनत रंग लाया और खड़ी कर दी Jet Airways । नरेश गोयल का पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी। अपने परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए नरेश गोयल साल 1967 में पटियाला से दिल्ली का रुख किया। और फिर वो मुकाम हासिल किया जिसके लिए हर कोई सपना देखता है।जानते हैं जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल की पूरी कहानी।
Jet Airways के मालिक नरेश गोयल मूल रूप से पंजाब के पटियाला के रहने वाले हैं। उनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं चल रही थी। अपने परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने के लिए नरेश गोयल पटियाला से दिल्ली आए और कनॉट प्लेस में 300 रुपये मासिक तनख्वा पर नौकरी किया। फिर एक ट्रैवल एजेंसी खोला। हालांकि नरेश गोयल अपने ट्रैवल एजेंसी का नाम किसी एयरलाइन कंपनी जैसा ही रखा था।
कहते हैं न समय का चक्र किसी भी व्यक्ति को कैसे भी दिन दिखा सकता है। जेट एयरवेज (Jet Airways) के फाउंडर नरेश गोयल (Naresh Goyal) इस समय ईडी (ED) की गिरफ्त में हैं। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है। ईडी ने आरोप लगाया कि बैंकों ने जेट एयरवेज को जो 6000 करोड़ का लोन दिया था, उसका बड़ा हिस्सा गलत रूप से इस्तेमाल हुआ है।
फिर क्या था करोड़ों के मालिक नरेश गोयल अर्श से फर्श पर पहुंच गए। नरेश गोयल की फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी तह शुरु होती है जब वो महज 18 साल के थे। Jet Airways के मालिक जब 18 साल के थे, साल 1967 में वो खाली हाथ पटियाला से दिल्ली पहुंचे।
उस वक्त नरेश गोयल का परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था। हालात ये थी कि दो वक्त की रोटी के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता था। गोयल अपने परिवार की आर्थिक तंगी दूर करना चाहते थे। वो इसके लिए दिन रात मेहनत कर रहे थे। और जब उन्होंने इस सिलसिले में हाथ पैर मारे तो सफलता मिलती गई और नरेश गोयल ने उस मुकाम को हासिल कर लिया जिसका उन्होंने सपना देखा था।
दिल्ली में की 300 रुपये मासिक पगार वाली नौकरी
जब नरेश गोयल पटियाला से दिल्ली आए तो कनॉट प्लेस में अपने चचेरे नाना के ट्रैवल एजेंसी में 300 रुपए महीने की नौकरी कर ली। धीरे-धीरे वे ट्रैवल इंडस्ट्री में अपने पांव पसारने लगे। उनके काफी सारे दोस्त भी बन गए थे। ये दोस्त खासकर जॉर्डन, खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विदेशी एयरलाइंस से थे। गोयल एविएशन सेक्टर का व्यापार समझने लगे। कुछ ही समय में उन्होंने इस बिजनस की बारीकियां समझ लीं। प्लेन लीज पर लेने से लेकर टिकट तक सब उन्हें समझ आ गया।
नाना के यहां नौकरी छोड़ शुरु किया अपना काम
साल 1973 में नरेश गोयल अपने चचेरे नाना के यहां नौकरी छोड़कर अपना काम शुरु कर दिया। उन्होंने अपनी ट्रैवल एजेंसी खोल ली। नरेश गोयल ने अपनी इस ट्रैवल एजेंसी का नाम दिया जेट एयर। जब गोयल पेपर टिकट लेने एयरलाइन कंपनियों के ऑफिस जाया करते तो वहां लोग उनका यह कहकर मजाक उड़ाते कि अपनी ट्रैवल एजेंसी का नाम एयरलाइन कंपनी जैसा रखा है। उस समय गोयल कहा करते थे कि एक दिन वह खुद की एयरलाइन कंपनी भी जरूर खोलेंगे।
1991 में गोयल का सपना हुआ पूरा
नरेश गोयल जो एयरलाइन कंपनी खोलना चाहते थे,जिसका उन्होंने सपना देखा था वो साल 1991 में पूरा हुआ। उन्होंने एयर टेक्सी के रूप में जेट एयरवेज की शुरुआत की। उस समय भारत में संगठित तरीके से प्राइवेट एयरलाइंस के संचालन की अनुमति नहीं थी। साल भर बाद उन्होंने जेट ने चार जहाजों का एक बेड़ा बना लिया और जेट एयरक्राफ्ट की पहली उड़ान भरी।
नरेश गोयल की अर्श से फर्श की कहानी
जेट एयरवेज से जुड़े एक व्यक्ति का मानना है कि नरेश गोयल ‘प्रोफेशनल्स पर कभी भी भरोसा नहीं किया और हमेशा अपनी मनमानी करते गए,जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा‘। दरअसल,नरेश गोयल ने जेट को इंटरनेशनल उड़ाने भरने वाली एकमात्र कंपनी बनाने के लिए 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपये में खरीद लिया। उस समय इस फैसले को गोयल की गलती के तौर पर देखा गया था। तब से ही जेट को वित्तीय मुश्किलों से सही मायने में कभी छुटकारा नहीं मिल पाया। हालांकि Jet Airways के मालिक नरेश गोयल अभी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार हैं।
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