Akasa Air:एविएशन सेक्टर में गहरा संकट मंडरा रहा है। गो फर्स्ट की फ्लाइट्स बंद हैं,वहीं स्वाइसजेट नकदी संकट के दौर से गुजर रही है। अब एक और एयरलाइन आकासा एयर पर भी बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। जानिए आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है।
देश में एविएशन सेक्टर का संकट गहरा गया है। हाल में लॉन्च हुई एयरलाइन आकासा एयर (Akasa Air) पर भी बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। दिवंगत इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला के निवेश वाली इस कंपनी के 43 पायलटों ने अचानक इस्तीफा दे दिया है। इस कारण कंपनी को रोजाना 24 फ्लाइट्स कैंसल करना पड़ रहा है।
कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि बड़े पैमाने पर पायलटों के इस्तीफा देने से उसके बंद होने की नौबत आ गई है। आकासा(Akasa Air) के पायलट दूसरी एयरलाइन कंपनियों खासकर टाटा ग्रुप की एयर इंडिया का रुख कर रहे हैं। आकासा रोज 120 फ्लाइट्स ऑपरेट करती है लेकिन अगस्त में उसके 600 फ्लाइट्स कैंसल करनी पड़ी थी। इस महीने भी इतनी ही फ्लाइट्स के कैंसल होने का खतरा है।
बिजनस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक आकासा एयर से इस्तीफा देने वाले पायलटों ने अनिवार्य नोटिस पीरियड को सर्व नहीं किया है। नियमों के मुताबिक फर्स्ट ऑफिसर्स के लिए नोटिस पीरियड छह महीने और कैप्टन के लिए एक साल है।
कंपनी ने कोर्ट से अपील की है कि वह एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए (DGCA) को अनिवार्य नोटिस पीरियड से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए एम्पावर करे। डीजीसीए के वकील ने कहा कि रेगुलेटर इसमें कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि पायलटों ने अनिवार्य नोटिस पीरियड से जुड़े नियमों को कोर्ट में चुनौती दी है।
आकासा ने कोर्ट में क्या दलील पेश की
सूत्रों के मुताबिक Akasa Air के एक अधिकारी ने एक प्रतिद्वंद्वी एयरलाइन को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पायलटों का नोटिस पीरियड सर्व किए बिना जाना अनैतिक है। पायलट यूनियनों ने आकासा एयर की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले का रेगुलेटर से कोई लेनादेना नहीं है। यह पायलट और एयरलाइन के बीच कॉन्ट्रैक्ट का मामला है। इस पर आकासा एयर के वकील ने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका में केवल नोटिस पीरियड का मामला उठाया है। हम केवल नोटिस पीरियड को लागू करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘कोई भी इस बात से इन्कार नहीं कर रहा है कि आज संकट की स्थिति है और इसका समाधान निकालने की जरूरत है। डीजीसीए भी इस बात से सहमत है कि यह संकट की स्थिति है और अगर कोर्ट कोई फैसला देता है तो वह इसका पालन करेगा। देश में एविएशन सेक्टर संकट से जूझ रहा है। मई में गो फर्स्ट इनसॉल्वेंसी में चली गई जबकि स्पाइसजेट भी नकदी संकट से जूझ रही है।
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