इस बार नज़र वाशिंगटन पर है।सवाल है कि क्या अमेरिका ऋण चूक को टाल पाने में सफल होगा ? यदि किसी देश द्वारा उधार ली जा सकने वाली अधिकतम राशि,यानी ऋण की सीमा को तुरंत नहीं बढ़ाया गया, तो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था एक महीने से भी कम समय में उस पैसे को ले पाने में सक्षम नहीं रह पायेगी। व्हाइट हाउस ने नोट किया कि “लंबे समय तक डिफॉल्ट से अर्थव्यवस्था को गंभीर नुक़सान हो सकता है, मौजूदा गति से अगर अर्थव्यवस्था की रफ़्तार यूं ही जारी रही,तो लाखों की संख्या में नौकरी जाने की आशंका रहेगी।” कहा गया है कि अमेरिकी ऋण का बीमा करने की लागत भी काफ़ी बढ़ गयी है और अब तक के उच्चतम स्तर को छू रही है, जो डिफ़ॉल्ट के बारे में बढ़ती चिंताओं को दर्शाती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सीलिंग बढ़ाने के मुद्दे पर जल्द से जल्द चर्चा करने के लिए कल रिपब्लिकन नेताओं से मिलने वाले हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने चेतावनी दी है कि अगर अगले कुछ दिनों में समझौता नहीं किया गया, तो अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी। येलेन ने यह कहते हुए ख़तरे की घंटी भी बजा दी है कि इस तरह के फ़ैसले, जब अंतिम क्षण में लिए जाते हैं, तो केवल निवेशकों के विश्वास और कारोबारी माहौल को नुक़सान पहुंचाते हैं।
जनवरी, 2023 तक कुल राष्ट्रीय ऋण 31.4 ट्रिलियन डॉलर था। ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के अनुसार, 2022 में ऋण-जीडीपी अनुपात 129 प्रतिशत था।
जहां अप्रैल में प्रतिनिधि सभा ने एक बिल पारित किया था,जिसमें सीलिंग को $1.5 ट्रिलियन तक बढ़ाने की अनुमति दे दी गयी थी, वहीं इसने कई ऐसे फ़ैसले भी लिए गये हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर खर्च में कटौती शामिल है। बाइडेन इस तरह की किसी भी शर्त के ख़िलाफ़ हैं।
एनपीआर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि वह डिफ़ॉल्ट को रोकने के लिए “असाधारण उपाय” अख़्तियार करने जा रहा है, “कुछ राज्य कोषाध्यक्ष अपने बजट और निवासियों पर प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।”
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने 2001 से हर साल लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का औसत घाटे का संचालन किया है। सीधे शब्दों में कहें तो इसका मतलब यह है कि यह देश करों और अन्य राजस्व के रूप में जितना कमाता है, उससे कहीं अधिक ख़र्च कर रहा है। लेकिन, सरकार को आवश्यक ख़र्च और भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए देश की उधारी लगातार बढ़ रही है।
1960 के बाद से ऋण सीमा को 78 गुना से अधिक बढ़ाने का सहारा लेने वाले अमेरिका ने पिछली बार 2021 के अंत में इसस सीमा को बढ़ाकर 31.4 ट्रिलियन डॉलर कर दिया था। अमेरिका ने भी 2013 से सात बार ऋण सीमा को निलंबित किया है।
सूत्रों ने बताया कि मॉस्को के यूक्रेन आक्रमण के बाद जिस तरह से वाशिंगटन ने रूस पर व्यापक प्रतिबंध लगाये हैं, उससे बड़ी संख्या में अमेरिकी नाख़ुश हैं।
एक विश्लेषक ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “इन उपायों को वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किए बिना जल्दबाज़ी में इसे अपनाया गया है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है।”
इस साल फ़रवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में वाशिंगटन पोस्ट ने कहा, हालांकि “प्रतिबंधों का प्रारंभिक प्रभाव घातक लग रहा है, जिससे रूबल दुर्घटनाग्रस्त हो गया, बैंकिंग प्रणाली थरथराने लगी और दुनिया भर की कंपनियों ने रूस को महत्वपूर्ण सामान निर्यात करना बंद कर दिया।” एक साल बाद, ” रूस कई लोगों की अपेक्षा से अधिक लचीला बना हुआ है।”
ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…
मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…
हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…
इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…
Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…
The Kashmir Files के डायरेक्टर पर बॉलीवुड अदाकारा आशा पारेख बुरी तरह बिफर गई। विवेक…