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खुशखबरीः बस कुछ साल और! चीन को पीछे छोड़ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएगा भारत

खुशखबरीः बस कुछ साल और! चीन को पीछे छोड़ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएगा भारत

फिलवक्त फ्रांस और ब्रिटेन को पीछे धकेल दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में पांचवे पायदान पर जमी भारत की अर्थव्यवस्था कुछ ही साल बाद चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ देगी। यह अनुमान किसी भारतीय अर्थशास्त्री का नहीं बल्कि 'लैंसेट' की एक रिपोर्ट है।

लैंसेट की रिसर्च के मुताबिक भारत की अर्थव्यस्था 2050 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और वर्ष 2100 तक इसी पोजीशन पर बनी रहेगी। लैंसेट ने 2017 को आधार वर्ष मानकर कहा है भारत 2030 तक अमेरिका, चीन, जापान के पीछे चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और बाद में 2050 में जापान से आगे निकल जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत वर्तमान में पांचवें स्थान पर है। इसके ठीक पीछे फ्रांस और ब्रिटेन हैं। भारत की अर्थव्यवस्था 2017 में सातवें स्थान पर थी।

मोदी सरकार की उम्मीदें भी कुछ इस तरह ही हैं। इस साल मई में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा था कि भारत को 2047 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनानी है। हालांकि कोरोना वायरस महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी से कुछ पहले के अनुमानों की तुलना में वर्तमान अनुमान कम आशावादी हैं। महामारी के प्रकोप से ठीक पहले जापान सेंटर फॉर इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा पिछले साल दिसंबर में एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत 2029 तक जापान को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2025 में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का भारत सरकार का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित है।

लैंसेट पेपर ने चेतावनी दी कि नाइजीरिया में स्थिर वृद्धि के साथ-साथ चीन और भारत में कामकाजी उम्र की आबादी में भारी गिरावट आएगी, हालांकि भारत शीर्ष स्थान बनाए रखेगा। 2100 तक भारत का अनुमान लगाया गया था कि अभी भी दुनिया में सबसे अधिक कामकाजी उम्र की आबादी है, उसके बाद नाइजीरिया, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। अन्य देश जो जीडीपी द्वारा वैश्विक रैंकिंग में ऊपर उठे थे, वे ऑस्ट्रेलिया और इजरायल थे। इस सदी के पूर्वानुमान में भारी गिरावट के बावजूद, लैंसेट ने कहा कि जापान 2100 में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। लैंसेट के प्रमुख निष्कर्ष बताते हैं कि महिला शैक्षिक प्राप्ति और गर्भनिरोध की पहुंच में निरंतर रुझान से प्रजनन क्षमता और जनसंख्या वृद्धि में गिरावट आएगी।.