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बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का पहला प्यार कौन था! पढ़ोगे तो चौंक जाओगे

हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का आज जन्मदिन है। राजेश खन्ना की जिंदगी से जुड़े तमाम किस्से कहे और सुने जाते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं उनका पहला प्यार कौन था? जी हां, राजेश खन्ना ने अपने पहले प्यार के बारे में बहुत कम लोगों की बताया था। कहने को तो कहा जाता है कि अपने जमाने की टाइमलेस ब्यूटी अंजू महेंद्रू उनका पहला प्यार थीं।  लेकिन नहीं, उनसे अलग था राजेश खन्ना का पहला प्यार। आइए जानते हैं कौन था राजेश खन्ना का पहला प्यार!

राजेश खन्ना का पहला प्यार का नाम था 'आखिरी खत'। हालांकि, फिल्म आराधना से राजेश खन्ना को नेम-फे मिली। लेकिन 'आखिरी खत' उनके दिल और दिमाग पर ऐसी छाई कि मरते दम काका यानी राजेश खन्ना कभी नहीं भूल पाए। राजेश खन्ना की खुद की पसंद की तो यह फिल्म उनकी कई अहम फिल्मों में अलग स्थान रखती है। राजेश खन्ना अक्सर बातचीत में इस फिल्म का बहुत ही भावुकता के साथ जिक्र करते थे। वो इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाते थे।
<h4><strong><span style="color: #000000;">'बहारों मेरा जीवन भी संवारो'</span></strong></h4>
30 दिसंबर, सन् 1966 को रिलीज हुई राजेश खन्ना की पहली फिल्म ‘आखिरी खत’ को चेतन आनंद ने निर्देशित किया था। ‘आख़री ख़त’ को अपना पहला प्यार बताते हुए राजेश खन्ना कहते थे कि इस का मेरी जिंदगी में जो मुकाम है उसे कोई हासिल नहीं कर सकता। ‘आखिरी खत’ में कैफी आजमी का लिखा और खय्याम का लयबद्ध किया और लता मंगेशकर का गाया गीत '<a href="https://www.youtube.com/watch?v=9I5gcZ_e8xQ"><strong><span style="color: #000080;">बहारों मेरा जीवन भी संवारो</span></strong></a>' को राजेश खन्ना एकांत में सुना करते थे।
<h4>अंजू महेंद्रू</h4>
<img class="alignnone wp-image-22550 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/Rajesh-Khanna.jpg" alt="Rajesh Khanna" width="1200" height="1500" />

'आखिरी खत' के एक साल बाद सन् 1967 में उनकी अगली फिल्म ‘बहारों के सपने’ आई। इस फिल्म से भी उन्हें बॉलीवुड में एक ताजा चेहरे के तौर पर जोरदार स्वागत किया गया। लेकिन सन् 1969 की ‘आराधना’ ने उन्हें बॉलीवुड के बाहर घर घर का स्टार बना दिया। वो हिन्दुस्तान के सुपरस्टार कहलाने लगे। उनके चाहने वालों की फेरहिस्त बढ़ने लगी। उस नए जमाने की नवयुवतियां और अभिनेत्रियां भी थीं। लेकिन राजेश खन्ना का दिल आया था – अंजू महेंद्रू पर। दुनिया राजेश खन्ना की दीवानी थी और राजेश खन्ना अंजू महेंद्रू के दीवाने थे। राजेश खन्ना से चार साल छोटी अंजु महेंद्रू 13 साल की उम्र से ही मॉडलिंग करने लगी थी। अंजू महेन्द्रू को ‘टाइमलैस ब्यूटी’ कहा जाता था। अंजू के ग्लैमर पर मुग्ध राजेश खन्ना ने उससे शादी करने की इच्छा जताई। अंजू महेंद्रू और राजेश खन्ना सात साल तक एक साथ रहे लेकिन अंजू महेंद्रू ने राजेश खन्ना के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

इसके बाद राजेश खन्ना का दिल ‘बॉबी’ हॉट गर्ल डिंपल कापड़िया पर आ गया। बॉबी फिल्म के दौरान ही राजेश खन्ना ने डिंपल से शादी कर ली। खास बात यह कि राजेश खन्ना अपनी बारात अंजु महेंद्रू के घर के सामने से लेकर गये।
वो दिन राजेश खन्ना के सुपरस्टारडम के दिन थे, कोई भी स्टार उनसे टकराने की हिम्मत नहीं रखता था। सात साल तक संग रहने वाली अंजू धीरे धीरे हाशिये पर आ चुकी थी।
<h4>राजेश खन्ना बनाम अमिताभ बच्चन</h4>
<img class="alignnone wp-image-22551 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/Rajesh-Khanna-Amitabh.jpg" alt="" width="1280" height="720" />

‘जंजीर’ (1973) ने अमिताभ बच्चन को पहचान दी। <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/new-film-city-bollywood-in-noida-shivs-sena-verbal-attack-on-up-cm-yogi-adityanath-20087.html"><strong><span style="color: #333399;">बॉलीवुड</span></strong></a> उनकी प्रतिभा को सम्मान देने लगा था। इसके बावजूद आनंद में अमिताभ बच्चन राजेश खन्ना के साथ सहायक कलाकार की भूमिका में तो आए लेकिन अमिताभ बच्चन उनसे आगे निकल गए। अमिताभ की नमक हराम तक आते–आते, राजेश खन्ना उनसे कहीं पीछे रह गए थे। संयोग देखिये कि राजेश खन्ना अमिताभ दोनों की पैदाइश सन् 1942 की है। राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन से महज दो साल पहले फिल्मों में आए लेकिन जिस समय अमिताभ बच्चन संघर्ष कर रहे थे उन दिनों राजेश खन्ना लोकप्रियता की सीढियां चढ़ चुके थे। राजेश खन्ना सन् 1966 से 2013 तक 106 फ़िल्मों मेँ सिंगल हीरो रहे। उन्होंने महज 22 मल्टीस्टारर फ़िल्मोँ मेँ काम किया। सोलो हीरो वाली 127 फ़िल्मोँ मेँ से 82 को पांच मेँ से चार स्टार मिले। सबसे खास बात यह कि राजेश खन्ना 1970 से 1987 तक सबसे ज्यादा फीस लेने वाले हीरो थे। अमिताभ बच्चन को यह श्रेय 1980 से 1987 तक के लिए मिला है।
<h4>'आनंद कभी मरते नहीं'</h4>
आखिरी दिनों में राजेश खन्ना अकेलेपन, झुंझलाहट, निराशा और शराब के शिकार होते गये। अमिताभ बच्चन के आगे जब कई फ़िल्में पिटीं तो वो हीन भावना से ग्रस्त भी हो गये। अपने ग़म को भुलाने के लिए उन्होंने शराब मेँ डुबो दिया। बाद में वो पत्नी और बेटियों से भी अलग हो चुके थे। शराबखोरी, बेचारगी, नाकामी की ज़िल्लत– सब मिल कर उनके लिए घातक कॉकटेल बन गए। कहते हैं- राजेश खन्ना को केवल शराब का ही नशा नहीं था, बल्कि उन पर अपनी लोकप्रियता का भी नशा उतना ही सवार था। जिसके आगे उन्होंने रिश्ते, नाते, दोस्ती किसी की परवाह नहीं की। यही कारण था कि अक्सर समारोहों और मंचों पर राजेश खन्ना यह कहते देखे गये-“वो भी एक दौर था, ये भी एक दौर है।“ लेकिन एक सच यह भी है कि राजेश खन्ना ने और सितारों की तरह बदलते वक्त के साथ खुद को भले ही नहीं ढाला लेकिन अपनी ही फिल्म ‘आनंद’ के एक लोकप्रिय संवाद की तरह अपने प्रशंसकों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे-क्योंकि 'आनंद कभी मरते नहीं'।.

सतीश के. सिंह

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