जल्द मिलेगा कोविशील्ड की सिंगल डोज वाली वैक्सीन! डेटा इकट्ठा करने में जुटी सरकार

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कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने कगार पर है। केस कम होते जा रहे हैं फिर भी केंद्र सरकार इस बार कोई गलती करने के मूड में नहीं है। कोरोना से लड़ाई में सबसे महत्वपूर्ण हथियार है वैक्सीन। अब लोगों कैसे जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगे ये प्राथमिकता है। इस बीच केंद्र सरकार एक नए प्रस्तावित कोविड वैक्सीन ट्रैकर प्लेटफॉर्म से डेटा एकत्र करने के बाद कोविशील्ड खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाने के अपने निर्णय के प्रभाव की समीक्षा करने की योजना बना रही है। सूत्रों ने कहा कि डेटा, सरकार को यह तय करने में भी मदद कर सकता है कि कोविशील्ड के लिए सिंगल खुराक के नियम को मंजूरी दी जाए या नहीं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि नए प्लेटफॉर्म के डेटा का अगस्त के आसपास विश्लेषण किए जाने की उम्मीद है।</p>
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आपको बता दें कि कोविशील्ड भारत में उपयोग में आने वाली मुख्य कोविड वैक्सीन है। अब तक देश में 20.89 करोड़ वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। इनमें से करीब 90 प्रतिशत कोविशील्ड है। भारत अपने टीकाकरण अभियान में भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का भी उपयोग कर रहा है। इसके अलावा रूस के स्पुतनिक वी के आपातकालीन इस्तेमाल की भी मंजूरी दी गई है।</p>
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नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के तहत कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “एक प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। यहां क्लीनिकल ​​​​डेटा, वैक्सीन डेटा और समग्र रोग डेटा के तीन सेट का सामंजस्य स्थापित किया जाना है। उसके आधार पर, हम वैक्सीन की प्रभावशीलता, पुन: संक्रमण और रुझानों को देखेंगे।” अरोड़ा के अनुसार, मार्च-अप्रैल में कोविड के टीकों की प्रभावशीलता का अध्ययन करने की आवश्यकता पर चर्चा शुरू हुई।</p>
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जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन भी वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित है। जबकि दो-खुराक वाली स्पुतनिक वैक्सीन भी इसी तकनीक के आधार पर सिंगल डोज के रूप में दी जा रही है। प्रभावकारिता रिपोर्ट के आधार पर दो-खुराक वाले टीके के रूप में कैलिब्रेट किए जाने से पहले, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन सिंगल खुराक निर्माण के रूप में शुरू हुई थी। आपको बता दें कि सिंगल डोज वाली वैक्सीन से घनी आबादी को तेजी से कवर करने में मदद मिलेगी। भारत में वैक्सीन की कमी के कारण टीकाकरण की रफ्तार फिलाहल धीमी है। अगर कोविशील्ड के सिंगल डोज को मंजूरी मिलती है तो यह काफी कारगर साबित होगा।</p>

आईएन ब्यूरो

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