आयुष गोयल
Drug Addiction:पंजाब के स्वास्थ्य अधिकारियों और सरकार को परेशान करने वाली बात यह है कि राज्य में 66 लाख वयस्कों के अलावा लगभग 7 लाख किशोर नशीली दवाओं के उपयोगकर्ता हैं। ये चौंकाने वाले आंकड़े लोकसभा की एक विशेष संसदीय समिति द्वारा पेश किए गए, जिसमें लगभग 3 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में इस हद तक की बड़ी संख्या पर चिंता व्यक्त की गयी।
“युवाओं में नशीली दवाओं का दुरुपयोग: समस्यायें और समाधान” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 21.36 लाख लोग विभिन्न प्रकार के ओपिओइड का सेवन कर रहे हैं, 30.68 लाख नियमित कैनबिस उपयोगकर्ता हैं, 9.93 लाख शामक ड्रग्स ले रहे हैं, 1.87 इनहेलेंट ले रहे हैं और 1.5 लाख लोग कोकीन ले रहे हैं और 1.36 लोग कोकीन ले रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़, पंजाब में 10 से 17 साल की उम्र के क़रीब 6.97 लाख बच्चे नशे की लत में हैं। इनमें से 18,100 बच्चे कोकीन का सेवन कर रहे हैं। लगभग 3.43 लाख बच्चे ओपिओइड ड्रग्स ले रहे हैं, जिनमें हेरोइन भी शामिल है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि पंजाब में 72,000 बच्चे ‘इनहेलेंट’ ले रहे हैं, 1.43 लाख बच्चे भांग और 93000 बच्चे शामक दवायें ले रहे हैं।
पंजाब सरकार के डिप्टी मेडिकल कमिश्नर और सलाहकार मनोचिकित्सक और वर्ल्ड फ़ेडरेशन अगेंस्ट ड्रग्स के सदस्य डॉ. संदीप भोला ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “ये चिंताजनक आंकड़े हैं और हमें किशोर उपयोगकर्ताओं पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारे पास पंजाब में महिला और किशोर नशेड़ियों के लिए सिर्फ एक केंद्र है, जो कपूरथला में है, जहां बहुत कम महिलायें या लड़के आते हैं। किशोर नशामुक्ति से बहुआयामी नीति और क़दम उठाने की ज़रूरत है। हमें युवावस्था में ही उनकी लत छुड़ाने की ज़रूरत है।”
उल्लेखनीय है कि राज्य में ओपिओइड और कैनाबिस के उपयोग में वृद्धि देखी गयी है और इस मामले में देश में यह राज्य दूसरे स्थान पर है।
आप सरकार ने पहले दिन से ही ड्रोन के माध्यम से सीमा पार अभूतपूर्व नार्को-आतंकवाद के कारण पंजाब में नशीली दवाओं के ख़तरे को अपनी सबसे बड़ी चुनौती बताया है। यहां तक कि पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भी स्कूली बच्चों तक नशीली दवाओं की आसान उपलब्धता पर बार-बार चिंता व्यक्त की है।
“सरकार द्वारा संचालित केंद्रों में 2.62 लाख नशेड़ी हैं और निजी तौर पर संचालित केंद्रों में 6.12 लाख नशेड़ी हैं। दुख की बात है कि नशे की लत से छुटकारा पाने की दर नगण्य है – सरकार द्वारा संचालित नशामुक्ति केंद्रों के मामले में 1.5% और निजी तौर पर संचालित केंद्रों में 0.04%। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने साफ़ कहा है कि नशे के आदी लोगों को जेल नहीं भेजा जाना चाहिए, बल्कि उनका इलाज किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह कहते हैं, ”हम नशा करने वालों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए मोहल्ला और ग्राम स्तर पर समितियां गठित करने की योजना बना रहे हैं।”
राज्य के रिकॉर्ड के अनुसार, पंजाब पुलिस ने 5 जुलाई 2022 से 7 जुलाई 2023 तक पिछले एक साल में एनडीपीएस अधिनियम के तहत 12,218 एफआईआर दर्ज कीं। एनडीपीएस मामलों के मामले में पंजाब तीसरे स्थान पर है, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, इसके बाद महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
आप के पंजाब प्रवक्ता मलविंदर कंग ने इंडिया नैरेटिव से बात करते हुए कहा, “ड्रग्स एक गहरी जड़ वाला ऐसा मुद्दा है, जो हमारी सरकार को पिछली सरकारों से विरासत में मिला है, जिन्होंने या तो इसे नजरअंदाज़ किया या नशीली दवाओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया। हम इस पर विभिन्न मोर्चों पर काम कर रहे हैं। आपूर्ति श्रृंखलाओं पर लगाम कसने से लेकर, नार्को-आतंकवाद से लड़ने और विश्व स्तरीय नशामुक्ति और स्वास्थ्य सुविधायें प्रदान करने तक हम वह सब कर रहे हैं, जो आवश्यक है। इसमें समय लगेगा, लेकिन हम पंजाब को ख़तरे से बाहर निकाल लेंगे।”
समिति ने उन प्रमुख राज्यों की सूची पर प्रकाश डाला है, जिन्हें नशीली दवाओं के दुरुपयोग में कार्रवाई की आवश्यकता है और इनमें पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, एनसीटी दिल्ली, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
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