खुशखबरी! नये साल पर 'कोविशील्ड वैक्सीन' का तोहफा, टीकाकरण के लिए आने लगे सुकून वाले मैसेज

देश की पहली कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार की एक कमेटी ने कोविशील्ड के आपातकालीन उपयोग को हरी झंडी दिखा दिया है। नये साल पर भारत के लिए यह सबसे बड़ी खुशखबरी है क्योंकि यहां कोरोना के केस एक करोड़ से अधिक हो चुके हैं और मरने वालों की संख्या डेढ़ लाख के करीब हो गई है। इस बीच, कोविशील्ड वैक्सीन को मंजूरी मिलना बेहद सुकून देती है।

आपको बता दें कि सबसे पहले यह <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/britain-takes-big-step-for-corona-vaccination-oxford-astrazeneca-approved-22617.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">वैक्सीन स्वास्थ्यकर्मियों</a> को लगेगी और उसके बाद पुलिसकर्मियों व लोगों की सेवा में लगे अन्य कर्मियों को लगेगी। इसके लिए लोगों का डाटा फीड किया जा चुका है और अपडेट भी मिलने लगे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, पंद्रह जनवरी तक अधिकांश स्वास्थ्य और पुलिसकर्मियों को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा सकता है।

<strong>वहीं, केंद्र सरकार की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने कुछ शर्तों के साथ ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन 'कोविशील्ड' के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी देने की सिफारिश की थी। मंजूरी पाने वाली यह भारत की पहली कोरोना वैक्सीन  है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भी इसके परीक्षण परिणामों को बेहद सकारात्मक और पर्याप्त माना है। </strong>

'कोविशील्ड' के अलावा फाइजर भी भारत में अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया है। मिली जानकारी के अनुसार, पर्याप्त डाटा नहीं होने के कारण फाइजर को हरी झंडी नहीं मिल पाई है। आइए जानते हैं कि अन्य वैक्सीन की अपेक्षा आखिर 'कोविशील्ड' वैक्सीन भारत के लिए क्यों खास है।
<h3>भारतीय कंपनी कर रही है इसका उत्पादन</h3>
'कोविशील्ड' वैक्सीन के उत्पादन की जिम्मेदारी पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास है। पिछले महीने आई एक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की चार करोड़ डोज तैयार कर ली है, लेकिन उसका इस्तेमाल भारत में किया जाएगा या वैश्विक स्तर पर उसकी आपूर्ति की जाएगी, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि चूंकि एक भारतीय कंपनी ही वैक्सीन का उत्पादन कर रही है, तो निश्चित तौर पर इसका ज्यादा फायदा भारत को ही मिलेगा। ऐसे में हो सकता है कि भारत को वैक्सीन की ज्यादा खुराक मिले, जिससे यहां टीकाकरण का काम तेजी से चलेगा।
<h3>90 फीसद तक असरदार है कोवीशील्ड</h3>
'कोविशील्ड' क्लीनिकल ट्रायल के शुरुआती नतीजों में 90 फीसद तक असरदार पाई गई है और इसी के आधार पर ब्रिटेन ने इस वैक्सीन को मंजूरी भी दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वैक्सीन सभी उम्र के लोगों पर असरदार है। यही वजह है कि इस वैक्सीन को पहले से ही भारत के लिए सबसे अच्छा माना जा रहा था।
<h3>'कोविशील्ड' का रखरखाव है आसान</h3>
'कोविशील्ड' वैक्सीन का रखरखाव अन्य कंपनियों की वैक्सीन के मुकाबले बेहद ही आसान है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे सामान्य तापमान पर भी स्टोर करके रखा जा सकता है जबकि मॉडर्ना और फाइजर कंपनियों द्वारा विकसित वैक्सीन को रखने के लिए माइनस 20 से माइनस 80 डिग्री तक के तापमान की जरूरत होती है। चूंकि भारत में अभी डीप फ्रीजर की व्यवस्था उतनी नहीं है, ऐसे में मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन का रखरखाव थोड़ा मुश्किल है, जबकि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को तो सामान्य फ्रीज में भी रखा जा सकता है।
<h3>अन्य वैक्सीन के मुकाबले 'कोविशील्ड' की कीमत होगी कम</h3>
सीरम इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 'कोविशील्ड' की कीमत अन्य कंपनियों की वैक्सीन के मुकाबले कम होगी। जहां इसकी एक डोज की कीमत करीब 500 रुपये होगी, तो वहीं फाइजर की एक डोज की कीमत 19.50 डॉलर यानी करीब 1450 रुपये, जबकि मॉडर्ना की वैक्सीन की कीमत 25 से 37 डॉलर यानी करीब 1850-2700 रुपये के बीच होगी। ये भी एक वजह है कि 'कोविशील्ड' भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताई जा रही है।.

रोहित शर्मा

Guest Author

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