भारतीय वैज्ञानिक अमेरिका में Anti Aging फार्मूले से कैसे बुजुर्गों को बनायेंगे ‘जवां’? जानिए क्या है प्लानिंग

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हर किसी की यह चाहत होती है कि उसकी खूबसूरती हमेशा के लिए बनी रहे, मगर वक्त के साथ सौंदर्य पर उम्र का असर पड़ने लगता है और जब भी शीशे में शीशे में शरीर पर उम्र ढलने के लक्षण नजर आने लगते हैं, तो चेहरे और मन में चिंता उभर आती है। ऐसे में आप भी अपनी खूबसूरती को बनाएं रख सकते हैं और शरीर के ढलती उम्र के लक्षणों को कम करके खूबसूरत खुशहाल जिंदगी बिता सकते हैं।</p>
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लोगों को जवां बनाए रखने के लिए भारतीय वैज्ञानिक ने अमेरिका में एंटी एजिंग फार्मूला निकाला है। इस फार्मूले से तैयार क्रीम चेहरे और हाथों पर झुर्रियां नहीं आएंगी। रासायनिक तत्वों की बजाय प्राकृतिक वस्तुओं में मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट से तैयार फार्मूले को अमेरिका ने मान्यता दे दी है। इस बीच तहसील के बगही गांव निवासी वैज्ञानिक डॉ. मयंक सिंह ने अमेरिका में बुढ़ापा रोधी फार्मूला तैयार किया है।</p>
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इस दौरान, डा. मयंक ने बताया कि डेंड्रिमर नैनो टेक्नोलॉजी तकनीक के उपयोग से इस फार्मूले को बनाया। इससे तैयार क्रीम और दवा पूरी तरह से प्राकृतिक और वाटर बेस्ड है। इसमें रासायनिक तत्वों की बजाय फलों, सब्जियों एवं अन्य प्राकृतिक वस्तुओं में मिलने वाले एंटी आक्सीडेंट का इस्तेमाल किया गया है। इससे तैयार होने वाली क्रीम और दवा को अमेरिका ने मान्यता दे दी है। वहीं अमेरिका की एक सौंदर्य प्रसाधन कंपनी ने इसका व्यावसायिक उपयोग करने का भी फैसला किया है।</p>
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<strong>किस तरह से करता है काम</strong></p>
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डेंड्रिमर नैनो टेक्नोलॉजी आधारित एंटी एजिंग फार्मूला बढ़ते उम्र के विकारों को दूर करने में काफी सहायक है। डॉ. मयंक ने बताया कि वृद्धावस्था के विकारों को ठीक करने के लिए शरीर में कई तंत्र प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। उनको सक्रिय कर कमजोर हाती हड्डियों, मांसपेशियां और त्वचा की झुर्रियों को ठीक किया जा सकता है। एंटी एजिंग फार्मूले से तैयार प्राकृतिक एंटी आक्सीडेंट त्वचा की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। उनका कहना है कोरोना वायरस से बुजुर्गों को ज्यादा नुकसान हुआ। कोविड-19 महामारी से बचाव के दौरान बुजुर्गों को जवां रखने का आइडिया आया। शोध के दौरान भारतीय मूल के संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्कांसिन मेडिकल कॉलेज के प्रो. अभय चौहान ने इस पर कार्य करने की सलाह दी थी।</p>
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बताते चले, डा. मयंक कोरोना रोधी नोजल स्प्रे समेत कई दवाइयां तैयार कर चुके हैं। उनकी प्रतिभा को देखते हुए 2020 में कोरोना काल में अमेरिका ने स्पेशल वीजा दे कर बुलाया था। बीते दो वर्ष से मयंक अमेरिका में मानव जीवन के लिए अन्य दवाओं पर शोध कर रहे है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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