स्वास्थ्य

शरीर की किस गंध से मच्छर होते हैं सबसे ज्यादा आकर्षित? यहां जानिए सबकुछ

Mosquitoes Attracts: भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में मच्छरों की समस्या आम बात है। मच्छरों के काटने से मलेरिया नाम की घातक बीमारी भी शिकार कर लेती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अकेले भारत में हर साल मलेरिया से 200000 से अधिक लोगों की मौत होती है। 55,000 बच्चे जन्म के चंद महीनों के भीतर मौत के मुंह में समा जाते हैं। हालांकि, मलेरिया से सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीकी देशों में होती हैं। वहीं अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि शरीर के किस गंध से मच्छर सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं। उन्होंने इस बात को लेकर कहा है कि पनीर, दूध, क्रीम और दही में पाए जाने वाले कुछ एसिड के कारण मच्छर मानव शरीर की गंध की ओर आकर्षित होते हैं।

साइंस मैगजीन में प्रकाशित हुआ अध्ययन

जॉन्स हॉपकिन्स मलेरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने जाम्बिया में माचा रिसर्च ट्रस्ट के साथ मिलकर करंट बायोलॉजी नामक साइंस मैगजीन में एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है। इसमें बताया गया है कि कौन सी मानव गंध मच्छरों को सबसे अधिक आकर्षित करती है। शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने एक पिंजरे का उपयोग किया और इसे अफ्रीकी मलेरिया मच्छरों से भर दिया, हालांकि ये मच्छर मलेरिया (Malaria) से संक्रमित नहीं थे। स्टडी के दौरान छह प्रतिभागियों का चयन किया गया था।

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प्रतिभागियों की गंध से मच्छरों को किया आकर्षित

ये प्रतिभागी एक टेंट में सोते थे, जहां से लंबी ट्यूबों की मदद से प्रतिभागियों की सांस और शरीर की गंध को मच्छरों के पिंजड़े में पंप किया जाता था। अध्ययन के निष्कर्षों के मुताबिक, मच्छरों को लिम्बर्गर जैसे बदबूदार चीज में मौजूद एक यौगिक ब्यूटिरिक एसिड सहित एयरबोर्न कार्बोक्जिलिक एसिड से सबसे अधिक आकर्षित किया गया था। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जहां कार्बोक्जिलिक एसिड मच्छरों को आकर्षित करते हैं, वहीं कीड़ों को यूकेलिप्टोल नामक एक अन्य रसायन से डर लगता है, जो पौधों में पाया जा सकता है।

इससे मलेरिया पर मिलेगी जीत

इस स्टडी के को-राइटर डॉ. एडगर सिमुलुंडु ने कहा कि विभिन्न लोगों के शरीर की गंध में मौजूद रसायनों और उन गंधों के प्रति मच्छरों के आकर्षण के बीच संबंध खोजना बहुत दिलचस्प और रोमांचक था। यह खोज मच्छरों के व्यवहार को जानने और उन्हें रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मलेरिया के फैलाव को भी रोका जा सकता है, जहां पर यह महामारी का रूप ले लेता है। हावर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट के एक न्यूरोबायोलॉजिस्ट और उपाध्यक्ष और मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ लेस्ली वोसल ने इस स्टडी को लेकर उत्साह जताया।

आईएन ब्यूरो

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