स्वदेशी जागरण मंच की मोदी से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लालच पर लगाम लगाने की मांग

स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक पत्र लिखकर कहा है कि वह बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के लालच पर लगाम लगाने का काम करें। स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी से कोरोना के उपचार के लिए सस्ते चिकित्सा विकल्पों की जनता को उपलब्धता सुनिश्चित बनाए जाने का भी आग्रह किया है। बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपी) के संरक्षण और प्रवर्तन से संबंधित कुछ प्रावधानों में छूट के लिए मोदी सरकार के डब्ल्यूटीओ जनरल काउंसिल में एक संयुक्त प्रस्ताव पेश करने की भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन ने प्रशंसा की है।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि यह प्रस्ताव समय की आवश्यकता है। कोरोना को सही तरीके से खत्म करने के लिए जनता तक सस्ते इलाज और उपचार के लिए दवाएं और टीके पहुंचने जरूरी हैं। इसके लिए बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपी) के संरक्षण और प्रवर्तन से संबंधित कुछ प्रावधानों में छूट जरूरी है। बगैर इसके बड़ी संख्या में निर्माताओं को कोरोना के लिए जरूरी चिकित्सा उत्पादों को बनाना असंभव होगा।

अश्विनी महाजन ने कहा कि सरकार को दवा के क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लाभ कमाने के लालच को खत्म करने के लिए कई कदम उठाने की भी जरूरत है। भारत एक ऐसे लालच का शिकार हो रहा है जहां प्रतियोगिता को खत्म करने या कम करने के लिए गलत तरीके से पेटेंट प्राप्त करके उसका दुरुपयोग हो रहा है।

महाजन ने कहा, "प्रतियोगिता को नियंत्रित करने के लिए गलत तरीके से प्राप्त पेटेंट का उपयोग करके गिलियड साइंसेज नाम की कंपनी ने हालांकि भारतीय जेनेरिक कंपनियों को 7 स्वैच्छिक लाइसेंस दिए हैं। लेकिन कीमतों में कोई विशेष कमी नहीं आई है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि प्रति रेमेडिविर की लागत 1 अमरीकी डॉलर यानि 75 रुपये से कम है, जबकि भारतीय कीमतें 4000 रुपये से 5400 रुपये के बीच हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार इसके लिए प्राथमिक कारण है। इसके अलावा ऐसे लाइसेंस भारतीय कंपनियों को मध्यम-आय वाले देशों में आपूर्ति करने में भी बाधा उत्पन्न करते हैं।"

महाजन ने कहा कि इस तरह के तरीकों के कारण कोरोना से निपटने के लिए आवश्यक चिकित्सा उत्पादों तक जनता की सुविधाजनक पहुंच कठिन हो रही है। अभी भी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और स्थानीय उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने में थोड़ी कमजोरी देखी जा रही है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में बाधा का सबसे बड़ा कारण बौद्धिक संपदा अधिकार है। स्वदेशी जागरण मंच ने इस संबंध में डब्ल्यूटीओ जनरल काउंसिल में संयुक्त प्रस्ताव को अपनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का भी आग्रह प्रधानमंत्री मौदी से किया है।

(एजेंसी इनपुट के साथ).

डॉ. शफी अयूब खान

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