1971 Bangladesh Liberation War: पाकिस्तान का घमण्ड हुआ था चकनाचूर 1लाख सैनिकों के साथ किया सरेंडर

तीन दिसंबर 1971 को शुरू हुए (भारत पाक) बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर (<a href="https://en.wikipedia.org/wiki/A._A._K._Niazi"><span style="color: #000080;"><strong>1971 Bangladesh Liberation War</strong></span></a>) की आधारशिला 1970 में बांग्लादेश  (ईस्ट पाकिस्तान) में हुए चुनावों के साथ ही रखी जा चुकी थी। लगभग एक साल 9 महीने तो पाकिस्तान को समझने और समझाने में निकल गए। पाकिस्तानी फौजों का बांग्लादेश में अत्याचार बढ़ता जा रहा था। बांग्लादेशी शरणार्थियों की भीड़ भारत पर दबाव बना रही थी। मुक्ति वाहिनी भी तैयार थी। और फिर 14 दिन तक चले संघर्ष में ही पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के सामने ये हालात क्यों पैदा हुए, चलिए समझते हैंः
<h4>1970 के बांग्लादेशी (ईस्ट पाकिस्तान) चुनाव</h4>
<img class="alignnone wp-image-21634 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/1971-Bangladesh-liberation-yaer-before-election.jpg" alt="1971 Bangladesh liberation yaer before election" width="1280" height="720" />

ईस्ट पाकिस्तान में 1970 का चुनाव <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/bangladesh-pm-sheikh-hasina-reiteratedpakistan-s-1971-atrocities-unforgivable-20215.html"><strong><span style="color: #000080;">बांग्लादेश</span></strong></a> के अस्तित्व के लिए काफी अहम साबित हुआ। इस चुनावो में मुजीबुर रहमान की पार्टी पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग ने जबर्दस्त जीत हासिल की। पूर्वी पाकिस्तान की 169 से 167 सीट मुजीब की पार्टी को मिली। 313 सीटों वाली पाकिस्तानी संसद में मुजीब के पास सरकार बनाने के लिए जबर्दस्त बहुमत था। लेकिन पाकिस्तान को कंट्रोल कर रहे पश्चिमी पाकिस्तान के लीडरों और सैन्य शासन को यह गवारा नहीं हुआ कि मुजीब पाकिस्तान पर शासन करें। मुजीब के साथ इस धोखे से पूर्वी पाकिस्तान में बगावत की आग तेज हो गई। लोग सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने लगे। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान ने पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह को कुचलने के लिए सेना को बुला लिया।
<h4>बांग्लादेश लिब्रेशन मूवमेंट</h4>
<img class="alignnone wp-image-21633 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/1971-Bangladesh-liberation-Movement.jpg" alt="1971 Bangladesh liberation Movement" width="1280" height="720" />

पूर्वी पाकिस्तान में आजादी का आंदोलन (1971 Bangladesh Liberation War) दिन ब दिन तेज होता जा रहा था। पाकिस्तान की सेना ने आंदोलन को दबाने के लिए अत्याचार का सहारा लिया। मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना ने क्रूरतापूर्वक अभियान शुरू किया। पूर्वी बंगाल में बड़े पैमाने पर अत्याचार किए गए। हत्या और रेप की इंतहा हो गई। मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी और टॉर्चर से बचने के लिए बड़ी संख्या में अवामी लीग के सदस्य भागकर भारत आ गए। शुरू में पाकिस्तानी सेना की चार इन्फैंट्री ब्रिगेड अभियान में शामिल थी लेकिन बाद में उसकी संख्या बढ़ती चली गई। भारत में शरणार्थी संकट बढ़ने लगा। एक साल से भी कम समय के अंदर बांग्लादेश से करीब 1 करोड़ शरणार्थियों ने भागकर भारत के पश्चिम बंगाल में शरण ली। इससे भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया।
<h4>मुक्ति वाहिनी को भारत की मदद</h4>
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मार्च 1971 के अंत में भारत सरकार ने मुक्तिवाहिनी की मदद करने का फैसला लिया। मुक्तिवाहिनी दरअसल पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद कराने वाली पूर्वी पाकिस्तान की सेना थी। मुक्तिवाहिनी में पूर्वी पाकिस्तान के सैनिक और हजारों नागरिक शामिल थे। 31 मार्च, 1971 को इंदिरा गांधी ने भारतीय सांसद में भाषण देते हुए पूर्वी बंगाल के लोगों की मदद की बात कही थी। 29 जुलाई, 1971 को भारतीय सांसद में सार्वजनिक रूप से पूर्वी बंगाल के लड़कों की मदद करने की घोषणा की गई। भारतीय सेना ने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी। इस तैयारी में मुक्तिवाहिनी के लड़ाकों को प्रशिक्षण देना भी शामिल था।
<h4>इंदिरा गांधी का यूरोप दौरा</h4>
अक्टूबर-नवंबर, 1971 के महीने में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सलाहकारों ने यूरोप और अमेरिका का दौरा किया। उन्होंने दुनिया के लीडरों के सामने भरत के नजरिये को रखा। लेकिन इंदिरा गांधी और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के बीच बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। निक्सन ने मुजीबुर रहमान की रिहाई के लिए कुछ भी करने से हाथ खड़ा कर दिया। निक्सन चाहते थे कि पश्चिमी पाकिस्तान की सैन्य सरकार को दो साल का समय दिया जाए। दूसरी ओर इंदिरा गांधी का कहना था कि पाकिस्तान में स्थिति विस्फोटक है। यह स्थिति तब तक सही नहीं हो सकती है जब तक मुजीब को रिहा न किया जाए और पूर्वी पाकिस्तान के निर्वाचित नेताओं से बातचीत न शुरू की जाए। उन्होंने निक्सन से यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान ने सीमा पार (भारत में) उकसावे की कार्रवाई जारी रखी तो भारत बदले
<h4><img class="alignnone wp-image-21627 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/1971-Bangladesh-liberation-War.jpg" alt="1971 Bangladesh liberation War" width="1280" height="720" /></h4>
<h4></h4>
<h4>वॉर-पाकिस्तान का सरेंडर और बांग्लादेश का जन्म</h4>
पूर्वी पाकिस्तान संकट विस्फोटक स्थिति तक पहुंच गया। पश्चिमी पाकिस्तान में बड़े-बड़े मार्च हुए और भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की मांग की गई। दूसरी तरफ भारतीय सैनिक पूर्वी पाकिस्तान की सीमा पर चौकसी बरते हुए थे। 23 नवंबर, 1971 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति याह्या खान ने पाकिस्तानियों से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा।

<img src="https://pbs.twimg.com/media/EpUq8HtVQAA-jGP?format=jpg&name=large" alt="Image" />

3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत पर हमला कर दिया। भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया। इसके साथ ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हो गई। 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की लगभग एक लाख की सेना के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का समापन हुआ।

 .

सतीश के. सिंह

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