Sidhu Moosewala Murder ने उड़ाई अमित शाह और अजीत डोभाल की नींद- भारतीय सेना के पास भी नहीं है ऐसा हथियार

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रविरार को पंजाबी गायक और कांग्रेस नेता सिद्धू मुसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मूसेवाला की हत्या दिन-दहाड़े की गई जिसके बाद पंजाब की आप सरकार सवालों के घेरे में आ गई। मुसेवाला की हत्या को लेकर पंजाब के साथ ही पूरी दुनिया में उनके फैंस में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन हत्या की लिए जिस हथियार का इस्तेमाल हुआ उसने नई दिल्ली में हड़कंप मचा दिया है। क्योंकि, बताया जा रहा है कि, मूसेवाला की हत्या के लिए रूसी AN-94 असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल हुआ है। ये चिंता वाली बात इसलिए है क्योंकि, इतनी अत्याधुनिक राइफल भारतीय सेना के पास भी नहीं है। इसी बात को लेकर लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल टेंशन में आ गए हैं।</p>
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<strong>मर्डर के लिए रूसी हथियार का इस्तेमाल</strong></p>
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सिद्धू मुसेवाला की हत्या के लिए जो बंदूक का इस्तेमाल किया गया वो एएन-94 राइफल (AN-94Assault Rifle) है। पहले AK-47 का नाम लिया जा रहा था लेकिन, अब खुलासा हुआ है कि, इसमें एएन-94 का इस्तेमाल हुआ जिसे रूस ने AK-47 की जगह उपयोग करने के लिए बनाया था। रूसी सेना भी इसी राइफल का इस्तेमाल करती है। यहां तक कि ये कुछ ही देशों की सेनाएं इस राइफल का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में हमलावरों के पास ये राइफल कहां से आई, कैसे आई ये बड़ा सवाल है।</p>
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<strong>बेहद ही खतरनाक है AN-94Assault Rifle</strong></p>
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1980 में शुरु की गई इस राइफल की डिजाइनिंग 1994 में पूरी हुई। इसे चीफ डिजाइनर गेनाडी निकोनोव ने बनाया है और इन्होंने ही सबसे पहले निकोनोव मशीन गन बनाई थी। यह असॉल्ट राइफल 1997 से लगातार रूप से सैन्य बलों में सेवा दे रही है और ये फिलाहल कुछ ही देशों के पास है। 37.1 इंच लंबाई वाली इस राइफल के बैरल की लंबाई 15.9 इंच है और ये इतनी खतरनाक है कि बर्स्ट मोड में इससे 1800 गोलियां दागी जा सकती हैं। ऑटोमैटिक मोड में यह हर मिनट 600 राउंड गोलियां दागती है। गोलियों की गति 900 मीटर प्रति सेकेंड है। यानी 2 गोलियों के निकलने में समय का अंतर माइक्रोसेकेंड्स में होता है।</p>
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<strong>अचनाक कैसे एक्टिव हो खालिस्तानी आतंकी</strong></p>
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इस मर्डर के बाद भगवंत मान की सरकार ने ये साबित कर दिया कि वो प्रदेश में क्राइम को और अवैध हथियारों के सप्लाई को रोक पाने में विफल है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि, ये राइफल आखिर पंजाब में आई कहां से क्योंकि, भारतीय जवान भी इस राइफल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के जरिए बड़ी संख्या में अवैध हथियार और ड्रग्स पंजाब भेजी जाती है। लेकिन पड़ोसी मुल्क की सेना के पास भी AN-94 राइफल नहीं है। मतलब साफ है कि पाक की ओर से भी ये राइफल भारत में नहीं भेजी जा सकती है। ऐसे में अमित शाह के साथ ही अजित डोभाल की भी नींद उडी हुई है कि आखिर ये राइफल आई कहां से। टेंशन का एक कराण यह भी है कि, इन दिनों खालिस्तानी आतंकी एक्टिव हो गए हैं और किसी बड़े अंजाम की फिराक में है। किसान आंदोलन में भी खालिस्तान का समर्थन होने का आरोप लगा था। यहां तक आंदोलन में खालिस्तानी झंडे भी देखने को मिले थे। हाल ही में हिमाचल प्रदेश की विधानसभा के गेट तक में खालिस्तानी झंडे लगे हुए पाए गए। यहां तक कि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवला का खालिस्तानियों के साथ संबंध का भी आरोप लग चुका है। ये आरोप लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि, उनके दोस्त रहे कवि कुमार विश्वास हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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