तमिलनाडु में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) संगठन के विस्तार में जुटी है। बीते छह महीने में तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल डीएमके के दो बड़े नेताओं को तोड़ने में मिली सफलता से उत्साहित भाजपा की नजर अन्य असंतुष्ट नेताओं पर है। गृह मंत्री अमित शाह के तमिलनाडु दौरे को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। शाह के दौरे से तमिलनाडु के स्थानीय बीजेपी नेता उत्साहित हैं।
भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि को डीएमके के असंतुष्टों को अपने मोर्चे में शामिल करने के काम पर लगाया है। बतौर तमिलनाडु प्रभारी सीटी रवि ने बीते 21 नवंबर को डीएमके के पूर्व सांसद डॉ. केपी रामालिंगम की भाजपा में ज्वाइनिंग कराकर राज्य में सियासी सरगर्मी पैदा कर दी है। इससे पूर्व मई में डीएमके के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी पद से हटाए जाने पर वी.पी. दुरैसामी ने भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार आने वाले वक्त में डीएमके के कुछ और नेता भाजपा में जुड़ सकते हैं।
डीएमके के अंदरखाने इस वक्त दो प्रमुख कारणों से नेताओं की नाराजगी चल रही है। कुछ नेता डीएमके में पार्टी मुखिया स्टालिन के बेटे उधयनिधि के बढ़ते वर्चस्व से चिंतित हैं। स्टालिन अपने बेटे उधयनिधि को लगातार प्रमोट करने में जुटे हैं।
<h2><strong>डीएमके मुखिया स्टालिन के बेटे उधयनिधि से नाराज हैं कई नेता</strong></h2>
सूत्रों का कहना है कि इससे पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं। उधयनिधि के हवाले डीएमके के यूथ विंग की कमान है। हाल में उधयनिधि ने डीएमके के लिए सौ दिन का आउटरीच प्रोग्राम तैयार किया। इसके लिए 15 वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई। मगर, संबंधित नेताओं को ऐन वक्त पर इस कार्यक्रम के बारे में बताया गया। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि उधयनिधि संगठन से जुड़े फैसलों में आम रायशुमारी करने में ज्यादा यकीन नहीं रखते।
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<p dir="ltr" lang="en">I want to ask the DMK and Congress party what good has the UPA govt done for Tamil Nadu during their 10-year long rule at the centre.
PM <a href="https://twitter.com/narendramodi?ref_src=twsrc%5Etfw">@NarendraModi</a> led central government has given the state of Tamil Nadu its due rights. <a href="https://t.co/Ht0DZDvv3g">pic.twitter.com/Ht0DZDvv3g</a></p>
— Amit Shah (@AmitShah) <a href="https://twitter.com/AmitShah/status/1330182367512760327?ref_src=twsrc%5Etfw">November 21, 2020</a></blockquote>
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दलबदल कर आने वाले नेताओं को संगठन में जगह मिलने से भी पार्टी का एक धड़ा परेशान है। एआईएडीएमके से आने वाले पूर्व मंत्री राजा कनप्पन, डॉ. विजय और डॉ. लक्ष्मणन को स्टालिन ने डीएमके में अहम जिम्मेदारियां मिलने से पार्टी के पुराने नेता नाराज चल रहे हैं।
सत्ताधारी एआईएडीएमके ने भाजपा के साथ गठबंधन कर तमिलनाडु में वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है। तमिलनाडु में इधर भाजपा ने हिंदुत्व के एजेंडे को धार देना शुरू किया है। एक तरफ एआईएडीएमके का जनाधार है तो दूसरी तरफ बीजेपी का बढ़ता प्रभाव है। इससे डीएमके के कई नेताओं को लगता है कि गठबंधन के कारण बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना फायदेमंद हो सकता है। ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक डीएमके के नेता भाजपा में आ सकते हैं।.
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