Double Mutant Virus: भारत में कोरोना के डबल म्यूटेंट वायरस अटैक से डॉक्टर्स परेशान, देखिए कितना खतरनाक है यह वायरस

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देश में कोरोना मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। कोविड-19की यह दूसरी लहर अपने पीक के करीब है जिसमें पिछले कुछ दिनों से अब तक के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। देश में कोरोना के 1,84,372मामले रिपोर्ट किए गए जो कि अमेरिका और ब्राजील को मिलाकर भी वहां से ज्यादा केसेस आए हैं। अमेरिका में 77,720और ब्राजील में 80,157केस रिपोर्ट किए गए हैं। लेकिन भारत में इन दोनों को मिलकार भी कहीं ज्यादा मामले हैं और यह हालत तह है जब भारत में वैक्सीनेशन तेजी से लगाया जा रहा है। इस बीच वायरस के एक नए रूप ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। जिसे 'डबल म्यूटेशन वायरस' के नाम से जाना जाता है।</p>
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भारत में डबल म्यूटेशन का खतरा बढ़ गया है। माना जा रहा है कि इसी के कारण मामलों में इतनी तेज रफ्तार से बढ़ोतरी हुई है। डबल म्यूटेशन वायरस ने इस महामारी से निबटने की चुनौतियां भी काफी बढ़ा दी हैं। डबल म्यूटेशन वायरस स्ट्रेन और इसको लेकर हमें वाकई चिंता करने की जरूरत है।</p>
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भारत के नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने मार्च के अंत में एक नए वैरिएंट 'डबल म्यूटेंट' की जानकारी दी थी। इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तौर पर B.1.617नाम दिया गया है, जिसमें दो तरह के म्यूटेशंस हैं- E484Q और L452R म्यूटेशन। ये वायरस का वो रूप है, जिसके जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है। वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं, ताकि उन्हें खत्म ना किया जा सके। दो तरह के वायरस म्यूटेशन के कारण ही यह बेहद खतरनाक माना जाता है।</p>
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<strong>इन राज्यों में हो चुकी है इसकी पहचान</strong></p>
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वायरस का यह नया वैरिएंट घरेलू और कॉमन है। जिन राज्यों में डबल म्यूटेंट वायरस की पहचान की गई है उन राज्यों में पिछले महीने कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसकी पहचान कम से कम पांच राज्यों में की गई है। महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब भी शामिल हैं। इनके अलावा फिलहाल और कितने राज्यों में डबल म्यूटेंट वायरस सक्रिय है, यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता। वहीं, ग्लोबल लेवल पर भी इस वैरिएंट से लोग संक्रमित हो रहे हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस नए स्ट्रेन के केस अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में पाए गए हैं।</p>
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<strong>नया वैरिएंट कितना खतरनाक</strong></p>
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नया म्यूटेशन दो अन्य म्यूटेशंस के जेनेटिक कोड (E484Q और L452R) को खुद में समेटे हुए है जोकि पहले से ही दुनिया भर में फैला हुआ है। जहां ये दोनों म्यूटेशंस अपने बेहद ज्यादा प्रभावशीलता और संक्रमण दर के लिए जाने जाते हैं, वहीं यह पहली बार है कि दोनों एकसाथ मिल गए हैं जिससे कि वायरस कई गुणा ज्यादा संक्रामक और खतरनाक रूप ले लेता है। इस डबल म्यूटेशन में कोरोना वायरस से जुड़े दो अलग-अलग तरह के स्पाइक प्रोटीन मार्कर मौजूद हैं।</p>
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स्पाइक प्रोटीन की मदद से वायरस इंसान के सेल्स से चिपक जाता है और उसके बाद उसके अंगों पर अटैक करता है। इस स्ट्रेन का वैरिएंट्स स्पाइक प्रोटीन के स्ट्रक्चर को बदल देता है जिससे कि वह सेल्स के साथ अटैच होकर कई गुणा तेजी से बढ़ने लगता है। इससे संक्रमण डरावने रूप में गिरफ्त में लेता है।</p>
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<strong>इम्युनिटी के लिए नया वैरिएंट का कितना खतरा?</strong></p>
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जिस तरीके से देशभर में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है उसके आधार पर एक्सपर्ट्स इसी डबल म्यूटेंट वायरस को जिम्मेदार मान रहे हैं। हालांकि, अभी तक इश बाक पुख्ता सबूत नहीं है कि डबल म्यूटेंट वायरस से कितनी तेज गति से या कितनी संख्या में लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो, डबल म्यूटेंट वायरस ज्यादा संक्रामक है जो कि ज्यादा तेज गति से फैलता और गंभीर बीमारियां पैदा करता है। इसने पूरे हेल्थकेयर सिस्टम को ही नाकाम करने की हालत में ला दिया है जैसा कि इस वक्त देखा जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा है कि नया वैरिएंट संक्रमण रेट को भी बढ़ा सकता है और यह लोगों के इम्युनिटी डिफेंस को आसानी से भेद सकता है और संक्रामकता को बढ़ा सकता है।</p>
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<strong>वैक्सीनेशन अभियान पर असर?</strong></p>
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इस वक्त देश में यह देखा गया है कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भी लोग पॉजिटिव आ रहे हैं। जिन्हें एक बार हो चुका है उन्हें भी दोबारा संक्रमण हो रहा है। जहां कोविड की वैक्सीन फिलहास सौ फीसदी असरदार नहीं है, वहीं ज्यादा मजबूत और अलग स्पाइक प्रोटीन के कारण नए वैरिएंट को एंटीबॉडीज को मात देने में आसानी हो सकती है। यह उन लोगों को भी चपेट में ले सकता है, जो कोरोना वायरस से उबर चुके हैं। विशेषज्ञों की सलाह माने तो अधिस से अधिक लोगों को वैक्सीनेशन लगाने चाहिए, क्योंकि वैक्सीन के असर का रेट भले ही अलग-अलग हो, लेकिन वह इस महामारी की गंभीरता और मृत्यु दर को कम करने में मददगार है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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