मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने हर मोर्चे पर तैयारी तेज कर दी है। एक तरफ जहां संगठन बिसात बिछाने में लगा है तो दूसरी ओर सरकार गरीब और जरूरतमंद वर्ग के लिए योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में लगी है।
राज्य में 27 विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है और इन चुनावों में भाजपा और विरोधी दल कांग्रेस जीत के लिए हर तरह के दांव-पेच आजमा रही है। भाजपा ने चुनाव में बड़ी सफलता पाने के लिए संगठन और सरकार स्तर पर अलग-अलग रणनीति बनाई है। संगठन जहां बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहा है, प्रचार की रणनीति बना रहा है तो कांग्रेस में सेंधमारी करने की हर संभव कोशिश करने में जुटा है।
एक तरफ जहां संगठन प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और महामंत्री संगठन सुहास भगत के नेतृत्व में जमीनी जमावट में जुटा हुआ है तो दूसरी ओर सरकार जनता के हित में अनेक योजनाएं चला रही हैं। राज्य में लगभग पौने दो लाख आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मुहैया कराए गए हैं तो आगामी दिनों में 37 लाख परिवारों को राशन पर्चियां वितरित की जाने वाली हैं। इतना ही नहीं, बिजली बिलों पर भी रियायत दी जा रही है।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि कांग्रेस की नीति सिर्फ लूट की रही है, मगर भाजपा जनहित के लिए काम करती है। केंद्र सरकार की योजनाओं को कमल नाथ ने रोक दिया था, वास्तव में कमल नाथ सरकार ने जनहित की योजनाओं को रोका था। राज्य में भाजपा की सरकार आते ही जनहित योजनाओं को गति मिली है और यह सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए काम कर रही है।
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि भाजपा सिर्फ घोषणाओं और बयानों तक सीमित रहती है, कांग्रेस ने किसान और आम गरीब के लिए काम किए। 25 लाख से ज्यादा किसानों के कर्ज माफ हुए और आगामी समय में बाकी किसानों के कर्ज माफ करने की योजना थी, मगर साजिश रचकर कांग्रेस की सरकार गिरा दी गई। इतना ही नहीं, 100 यूनिट पर 100 रुपये का बिजली बिल आता था, अब वही हजारों में आ रहा है। प्रदेश की जनता 'जनमत का अपहरण' करने वालों को उपचुनाव में सबक सिखाएगी।
राज्य में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम नौ सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है। 230 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 107 सदस्य हैं। पूर्ण बहुमत के लिए 116 सदस्य होना आवश्यक है। वहीं कांग्रेस के 89, निर्दलीय चार, सपा एक और बसपा के दो सदस्य हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनाव एकतरफा नहीं रहने वाले। भाजपा भी इस बात को जानती है, लिहाजा वह किसी तरह का जोखिम नहीं लेने वाली है। यही कारण है कि सत्ता और संगठन पूरा जोर लगाए हुए है। इस बार भाजपा के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया फैक्टर भी मदददार होने वाला है।.
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