खाकी उतारी, खादी मिली नहीं तो गुप्तेश्वर पांडेय ने बदल लिया हुलिया, भगवा पहन बने कथावाचक

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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सुर्खियों में आए बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे पहले रॉबिनहुड की भूमिका में नजर आए। हर दिन टीवी पर दिखते थे। फिर राजनीति में आए और खाकी उतार दी। जब खादी ने दगा दिया तो अब नए अवतार में प्रकट हुए हैं। गेरुआ वस्त्र धारण करके गुप्तेश्वर पांडे अब कथावाचक बन गए हैं। कथा सुनाते हुए वे लोगों को कानून की धाराएं समझाते हैं।</p>
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फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद रिया चक्रवर्ती को लेकर दिए बयान को लेकर पूर्व डीजीपी ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने डीजीपी के पद से वीआरएस ले ली थी। चर्चा थी कि वे चुनाव लड़ेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब सोशल मीडिया पर उनका कथा करते हुए वीडियो वायरल हो रहा है।</p>
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वायरल वीडियो के एक पोस्टर में कथावाचक के तौर पर पूर्व डीजीपी की तस्वीर लगी है और लोगों को जूम ऐप के जरिए कथा वाचन से जुड़ने का आमंत्रण दिया गया है। तस्वीर में पांडेय गेरुआ वस्त्र पहनकर भक्ति में लीन दिखाई दे रहे हैं और श्रीमद्भागवत कथा सुना रहे हैं। कथा सुनने के लिए जारी पोस्टर में जूम आईडी और पासकोड दिया गया है। इसमें लिखा है कि यह कथा दोपहर के दो बजे से तीन बजे तक होगी।</p>
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पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने डीजीपी के पद से समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया था और फिर राजनीति में कूद पड़े। विधानसभा चुनाव लड़ने के इरादे से उन्होंने जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया और पार्टी में शामिल हो गए मगर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। राजनीति  में सफलता नहीं मिलने के बाद अब पिछले कुछ समय से गुप्तेश्वर पांडे अध्यात्म की ओर चल पड़े हैं। </p>
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<strong>कौन हैं गुप्तेश्वर पांडेय</strong></p>
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मूल रूप से बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने एएसपी, एसपी, एसएसपी, आईजी, आईजी और एडीजी के तौर पर बिहार के 26 जिलों में अपनी सेवाएं दी हैं। पांडेय ने 2009 में बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया लेकिन टिकट मिला नहीं तो वापस सेवा में आने की अर्जी दी। इसे 9 महीने बाद नीतीश सरकार ने मंजूर कर लिया था। इसके बाद 2020 में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने दोबारा वीआरएस ली लेकिन इस बार भी उनके हाथ निराशा लगी।</p>

आईएन ब्यूरो

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