कृषि कानूनों के फंदे में आई दिल्ली की कंपनी, किसानों को बोनस सहित मिला धान का दाम

एक तरफ कुछ किसान जहां दिल्ली के बॉर्डर्स को घेरे बैठे हैं तो दूसरी तरफ <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/kisan-andolan-2020-government-agree-to-include-msp-in-agriculture-reforms-19922.html"><span style="color: #000080;"><strong>किसान कानूनों</strong></span></a> (Farm Law) ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। नए कृषि कानू न  (Farm Law)किसानों की ढाल बनकर खड़े हो गए हैं। किसानों को अपने रौब-रुबाव से झुकाने वाले लोग अब किसानों के आगे हाथ बांधे खड़े नजर आ रहे हैं। जी हां, ऐसा ही एक किस्सा (बल्कि पहला किस्सा) मध्य प्रदेश के <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Hoshangabad"><span style="color: #000080;"><strong>होशंगाबाद</strong></span></a> के एक किसान ने दर्ज करवाया था। यह कानून का ही असर था कि किसान ने एसडीएम की अदालत में मुकदमा दर्ज करवाया और अगले दो दिन में उसे इंसाफ भी मिल गया।

मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली की फॉर्च्यून राइस लिमिटेड ने जून 2020 में होशंगाबाद जिले के पिपरिया तहसील में आने वाले भौखेड़ी एवं अन्य गांवों के किसानों से मंडी के अधिकतम मूल्य पर धान खरीदने का लिखित अनुबंध किया गया था। कंपनी शुरुआत में तो कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार धान खरीदती रही, लेकिन भाव 3,000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंची तो कंपनी ने किसानों से धान खरीदना बंद कर दिया। किसानों ने दिल्ली फोन किए तो कंपनी के कर्मचारियों ने अपने फोन बंद मिले।

भौखेड़ी के किसान पुष्पराज पटेल और ब्रजेश पटेल ने पिपरिया के एसडीएम को इसकी शिकायत की। शिकायत पर जिला प्रशासन ने राजधानी भोपाल में कृषि विभाग से सलाह मांगी। कृषि विभाग ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ऐक्ट की धारा 14 के तहत सबसे पहले समाधान बोर्ड के गठन की कार्यवाही करने और फिर कंपनी के न मानने पर न उसके खिलाफ आदेश पारित करने का सुझाव दिया।

 

पिपरिया के एसडीएम ने फॉर्च्यून राइस लिमिटेड के खिलाफ सम्मन जारी कर दिए। सम्मन जारी होने के 24 घण्टे भी नहीं बीते थे कि फॉर्च्यून राइस लिमिटेड के डायरेक्टर अजय भलोटिया एसडीएम कोर्ट में पेश हो गए। इसके बाद ‘कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अधिनियम)’ की धारा 14(2)(ए) के तहत सामधान बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड में पिपरिया के तहसीलदार और किसानों के प्रतिनिधि को शामिल किया गया। समाधान बोर्ड के सामने कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार उच्चतम मूल्य पर धान खरीदने की हामी भरनी पड़ी। इतना ही नहीं, कंपनी बाजार मूल्य बढ़ जाने पर भी खरीदी की दर बढ़ाने को राजी हो गई। बोर्ड में सहमति के आधार पर फॉर्च्यून राइस लिमिटेड को किसानों से 2950 रुपये क्विंटल धान और 50 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस के साथ कुल 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदना पड़ा।

 

नए कानून के प्रावधानों की मदद से शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर किसानों को अनुबंध के अनुसार उच्चतम बाजार मूल्य सुनिश्चित कराने के लिए प्रशासन ने कार्रवाई की। संतुष्ट किसानों का कहना है कि कंपनी द्वारा कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद धान खरीदे नहीं किए जाने से उन्हें बहुत अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता। किसान हितैषी नया कृषि कानून उनके लिए आशा की किरण लेकर आया है। अब वे अनुबंध के अनुसार अपनी उपज कंपनी को बेच पाएंगे।

 .

सतीश के. सिंह

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