अब तक भारत दूसरे देशों को समझता और उनके मूड को भांप कर अपनी नीति बनाता था, अब वक्त आ गया है कि दुनिया भारत को समझे और भारत के अनुरूप व्यवहार तय करे। दुनिया का दरोगा बनने की कोशिश करने वाली ताकतों को ये खरी-खरी बातें भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सुनाईं। विदेश मंत्री एस जयशंकर रायसिना डायलॉग के अंतिम दिन 90 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे। एस.जयशंकर ने रायसिना डायलॉग में चीन को भी जमकर लताड़ा। भारतीय विदेश मंत्री का रुख पिछले कई दिनों से काफी सख्त है। रायसिना डायलॉग में उनका यह रुख और भी ज्यादा सख्त दिखा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमीर देशों को कहा कि वो अब भारत से उनकी मुरादें पूरी करने की उम्मीद छोड़ दें। अब वक्त आ गया है कि दुनिया, भारत को समझे और उसकी के अनुरूप व्यवहार करे।
एस. जयशंकर ने इस आयोजन में कहा कि भारत अपनी शर्तों पर बाकी देशों से रिश्ते बनाएगा, इसके लिए हमें किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। हमें दुनिया को खुश रखने के लिए ये जानने की जरूरत नहीं है कि वो कौन हैं बल्कि दुनिया को ये जानना पड़ेगा कि हम कौन हैं। इसके अलावा जयशंकर ने अफगानिस्तान, चीन समेत कई मुद्दो पर अपनी बात रखी। जयशंकर ने बिना कोई लाग-लपेट कहा कि दुनिया हमारे बारे में राय गढ़े और फिर हम उसकी इच्छा के अनुरूप फैसले लें, यह जमाना लद चुका है। उन्होंने दावा किया कि अगले 25वर्षों में वैश्वीकरण का केंद्र भारत ही होगा।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की रूस-यूक्रेन नीति पर सवाल उठाने को लेकर यूरोप पर निशाना साधा। उन्होंने यूरोप को ध्यान दिलाया कि जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था खतरे में थी तब आप वास्तव में भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए पीछे की ओर नहीं झुक रहे थे। एस जयशंकर ने आगे कहा कि एशिया में चुनौतियों के बीच हमें यूरोप की तरफ से और व्यापार करने की सलाह दी जा रही थी। कम से कम हम आपको सलाह तो नहीं दे रहे हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर यूरोप से कहा कि अफगानिस्तान पर आप मुझे बताइए कि नियम-आधारित व्यवस्था का कौन सा भाग सही ठहराता है जो दुनिया ने वहां पर किया। एस जयशंकर ने आगे कहा कि कोई भी देश टकराव के व्यवहारिक परिणाम नहीं देखना चाहता जैसे ऊर्जा की उंची कीमतें, खाद्य मुद्रास्फीति, दूसरे अवरोध आदि। जयशंकर ने कहा कि इस टकराव में कोई भी विजेता नहीं कहलाएगा।
रायसीना डायलॉग कार्यक्रम के दौरान एस जयशंकर ने चीन का नाम लिए बगैर कई बड़ी बातें कहीं। जयशंकर ने कहा कि यूरोप पूर्व में एशिया में चीन के आचरण से पैदा हुए सुरक्षा खतरों के प्रति असंवेदनशील रहा है। चीन के साथ सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर जयशंकर ने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सीमाएं अब तक स्थिर नहीं हैं। जयशंकर ने आगे कहा कि यूरोप उस वक्त भी असंवेदनशील था जब बीजिंग एशिया को धमका रहा था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूरोप की तरफ से कई बार बहस की जाती है कि जो चीजें यूरोप में हो रही हैं उसके लिए एशिया को चिंतित होना चाहिए क्योंकि यह चीजें एशिया में भी हो सकती हैं। मैं बताना चाहता हूं कि एशिया में चीजें आज नहीं वहां पिछले 10 सालों से ऐसा हो रहा है लेकिन यूरोप ने कभी मुड़कर नहीं देखा। यह यूरोप के लिए जागने का समय है और केवल यूरोप नहीं बल्कि एशिया की तरफ भी देखने की जरूरत है। जयशंकर ने आगे कहा कि एशिया में आतंकवाद और अस्थिर सीमाएं जैसी समस्याएं हैं। हमें यह भी समझना होगा कि समस्याएं आने वाली नहीं बल्कि आ चुकी हैं।