अभी तो कई राज आने बाकी हैं! ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में एक दो नहीं बल्कि कई सारे शिवलिंग हैं- देखें रिपोर्ट

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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान वजू करने वाली जगह पर शिवलिंग मिलने और नंदी मिलने के बाद जिले की सीनियर डिविजन कोर्ट ने उस जगह को सील करने का आदेश दे दिया है और साथ ही वजू करने पर रोग लगा दी है। वकील हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकर करते हुए कोर्ट ने शिवलिंग वाली जगह को सील करने का आदेश दिया। इस सर्वे में कई बातें निकल कर आई हैं। शिवलिंग के साथ ही इतिहास भी बाहर आ गया है। मंदिर के पूर्व महंत ने दावा किया है कि, मस्जिद के तहखाने में अभी कई और भी शिवलिंग हैं।</p>
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वजू खाने में दिखने वाली आकृति को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि ये शिवलिंग का है, तो वहीं मुस्लिम पक्ष उसे वजू खाने का फव्वारा बता रहा है। लेकिन, ये वही शिवलिंग है जिसका इतिहास में कई बार जिक्र हुआ है। चार सौ ईस्वी में आए चीनी यात्री फाहियान से लेकर 19वीं शताब्दी में काशी के राजा मोतीचंद की लिखी पुस्तक ‘काशी के इतिहास’ में पन्ने से निर्मित 18बालिस्त ऊंचे शिवलिंग का उल्लेख है। अब मंदिर के पूर्व महंत ने जो दावा किया है उसके बाद इसमें नया मोड़ मिल सकता है। क्योंकि, उनका कहना है कि, मस्जिद के तहखाने में एक नहीं बल्कि कई सारे और भी शिवलिंग हैं।</p>
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मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी पूजन-शृंगार आदि के अधिकार के लिए मुकदमा दायर करने की तैयारी में हैं। डॉ. तिवारी ने कहा कि विश्वेश्वर मंदिर में पूजापाठ की जिम्मेदारी उनके पूर्वज ही उठाते रहे हैं। साढ़े तीन सौ वर्षों के बाद जब बाबा का पुन: प्रकटीकरण हुआ है तो पूजापाठ का अधिकार महंत परिवार को मिलना चाहिए। बोले, इस अधिकार के लिए मैं जिला अदालत में वाद दाखिल करने की तैयारी कर रहा हूं। सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो 23 मई को वाद दाखिल हो जाएगा।</p>
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, मस्जिद के तहखाने में अभी कई और शिवलिंग विराजमान हैं। वर्ष 1991 में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाए जाने तक पं. केदारनाथ व्यास वर्ष में एक बार तहखाने में जाकर सभी देव विग्रहों का पूजन करते थे। अब उनके परिजन सिर्फ शृंगार गौरी के मसले तक सिमट कर रह गए हैं। ऐेसे में विश्वेश्वर लिंग सहित उस परिसर में विराजमान सभी शिवलिंगों के नित्य पूजन अर्चन का अधिकार महंत परिवार को मिलना चाहिए।</p>
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आईएन ब्यूरो

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