PM Modi ने ‘यूक्रेन-रुस’ की सुलह का फॉर्मूला किया तैयार, Delhi में बैठ करेंगे जंग का निपटारा

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आज रूस-यूक्रेन युद्ध के 34वां दिन है। युद्ध में यूक्रेन के कई देश तबाह हो चुके है तो वहीं रुस को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इन सब के बीच रूस के विदेश मंत्री और इजरायल के प्रधानमंत्री भारत दौरा करने वाले है। सूत्रों की मानें तो मुलाकात के दौरान युद्ध को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। वहीं यूएन समेत कई बाहुबली देशों ने भारत से युद्ध रूकवाने का आग्रह किया है। लिहाजा अब युद्ध को खत्म करने का फॉर्मूला निकालने के लिए दिल्ली में अहम बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है। यही वजह है कि क्वॉड देशों के नेताओं की बातचीत से लेकर रूस के विदेश मंत्री भी भारत के दौरे पर आ रहे हैं।</p>
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आपको बता दें कि 2 अप्रैल को रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता में जुटे इजरायल के प्रधानमंत्री नेफताली बेनेट भारत के लिए रवाना हो रहे है। वहीं रुस के विदेश मंत्री भी भारत दौरे की तैयारी कर रही है। बीते एक महीने के दौरान पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से दो बार फोन पर बात कर चुके हैं। साथ ही भारत यूएन में भी इस बात पर जोर देता रहा है कि किसी एक देश के खिलाफ पाबंदियों या हथियारों के बजाए कूटनीति व शांतिपूर्ण बातचीत से समाधान का रास्ता निकाला जाना चाहिए।</p>
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भारत की अहमियत को इस बात से भी समझा जा सकता है कि यूक्रेन को एनएलएडब्ल्यू जैसे एंटी टैंक हथियार मुहैया कराने वाले ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस 31 मार्च हो दिल्ली आ रही हैं। उनका यह दौरा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा से पहले होगा। लावरोव की यात्रा तारीखों का अभी ऐलान तो नहीं किया गया है, लेकिन संकेत है कि 30-31 मार्च को चीन में अफगानिस्तान मामले पर होने वाली बैठक के बाद रूसी विदेश मंत्री भारत में होंगे। जानकारों के मुताबिक भारत न केवल अपनी बात का वजन रखता है बल्कि उसकी भूमिका अमेरिका और रूस दोनों के लिए अहमियत रखती है।</p>
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अमेरिका जहां कई बार यह स्वीकार कर चुका है कि उसकी इंडो-पैसिफिक नीति का आधार भारत है। वहीं रूस भी भारत जैसे पुराने और महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी के साथ रिश्तों को तवज्जो देता है। यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान भी जब भारतीय छात्रों को खारकीव और सूमी से सुरक्षित निकालने का मामला आया तो रूस ने अपनी बोलगोरोड सीमा पर बसों का इंतज़ाम कर दिया था। हालांकि सीमा तक पहुंचने में मुश्किलों के कारण बाद में भारत ने अपने छात्रों को रूस के बजाए यूक्रेन की पश्चिमी सीमा के रास्ते निकाला।</p>

आईएन ब्यूरो

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