राष्ट्रीय

बादल परिवार को झटका, पंजाब कैबिनेट द्वारा स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी के “Free To Air” को  मंज़ूरी

आयुष गोयल

गुरुद्वारा प्रबंधन पर बादल परिवार और उनके शिरोमणि अकाली दल की कथित पकड़ को और ढीला करते हुए पंजाब कैबिनेट ने आज 1925 के सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी, ताकि स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी के “मुक्त प्रसारण अधिकार” को सुनिश्चित किया जा सके।

2023 सिख गुरुद्वारा (संशोधन) अधिनियम को मंगलवार को विधानसभा में पेश किया जाना है, जिसके कारण राज्य भर में एक बड़ा हंगामा हुआ है, जिसमें सीएम भगवंत मान के नेतृत्व वाली AAP सरकार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और मुख्य रूप से शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”pa” dir=”ltr”>ਜਿਵੇਂ ਮਸੰਦਾਂ ਤੋਂ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਛੁਡਵਾਏ ਸੀ..ਉਵੇਂ &#39;ਮਾਡਰਨ ਮਸੰਦਾਂ&#39; ਤੋਂ ਪਵਿੱਤਰ ਗੁਰਬਾਣੀ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਛੁਡਾਵਾਂਗੇ…ਬਾਬੇ ਨਾਨਕ ਤੇ ਗੁਰੂਆਂ-ਪੀਰਾਂ ਭਗਤਾਂ ਦੀ ਸਰਬ-ਸਾਂਝੀ ਗੁਰਬਾਣੀ ਸਾਰਿਆਂ ਲਈ ਮੁਫ਼ਤ ਹੋਵੇ.. <a href=”https://t.co/VlYuglpxil”>pic.twitter.com/VlYuglpxil</a></p>&mdash; Bhagwant Mann (@BhagwantMann) <a href=”https://twitter.com/BhagwantMann/status/1670734087450144769?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 19, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

दो दशकों से अधिक समय से अब एक निजी समाचार-सह-मनोरंजन चैनल, पीटीसी नेटवर्क के पास स्वर्ण मंदिर में होने वाली गुरबाणी के प्रसारण का अधिकार हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह नेटवर्क कथित तौर पर एसजीपीसी को सालाना 2 करोड़ रुपये का भुगतान करता है।

एसएडी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, जिनके पास पीटीसी में हिस्सेदारी है,उन्होंने गुरबानी प्रसारण पर एकाधिकार करने के आरोपों का सामना किया है और समय-समय पर खारिज भी करते रहे हैं। सीएम मान द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, संशोधन अंततः पवित्र गुरबाणी के प्रसारण पर ‘आधुनिक समय की मसंदों’ के नियंत्रण को समाप्त कर देगा। मान ने कहा कि कैबिनेट ने सिख गुरुद्वारा अधिनियम में धारा 125 ए को शामिल करने को मंज़ूरी दे दी है और इसलिए सरकार स्वर्ण मंदिर से पवित्र गुरबानी का “फ्री टू एयर” सीधा प्रसारण सुनिश्चित करने के लिए एसजीपीसी पर ज़िम्मेदारी डालेगी।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”pa” dir=”ltr”>ਜਿਹੜਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਐਕਟ 1925 ਹੈ…ਉਸ ‘ਚ ਕਿਤੇ ਵੀ ਬ੍ਰਾਡਕਾਸਟ ਜਾਂ ਟੈਲੀਕਾਸਟ ਦਾ ਅੱਖਰ ਹੀ ਨਹੀਂ ਲਿਖਿਆ ਹੋਇਆ…ਪਵਿੱਤਰ ਗੁਰਬਾਣੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ-ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਕਮੇਟੀ ਦਾ ਫ਼ਰਜ਼ ਹੈ…ਪਰ ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਗੁਰਬਾਣੀ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਵੇਚ ਰੱਖੇ ਨੇ.. <a href=”https://t.co/McIvPkcHIz”>pic.twitter.com/McIvPkcHIz</a></p>&mdash; Bhagwant Mann (@BhagwantMann) <a href=”https://twitter.com/BhagwantMann/status/1670738442865774593?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 19, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

मान ने कहा,“हमें लगता है कि हर सिख को गुरबाणी सुनने का अधिकार होना चाहिए और इसे किसी एक संस्था या व्यक्ति को वित्तीय लाभ प्रदान करने के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। संशोधन इसे ही सुनिश्चित करने का तरीक़ा है।”

यह संशोधन ऐसे समय में आया है, जब गुरबाणी प्रसारण का अनुबंध अगले महीने समाप्त हो रहा है और एसजीपीसी इसे नवीनीकृत करने की प्रक्रिया में है।

यह मुद्दा पिछले महीने एक बड़े झगड़े में तब बदल गया, जब मुख्यमंत्री ने गुरबानी के सभी चैनलों पर “फ़्री टू एयर” प्रसारण के लिए सभी ख़र्चों का भुगतान करने की पेशकश की। इस प्रस्ताव को नज़रअंदाज़ करते हुए एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने प्रसारण अधिकार आवंटित करने के लिए निविदायें मंगाने की घोषणा की। एसजीपीसी ने इस क़दम का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस अधिनियम में किसी तरह का संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Punjab Chief Minister is interfering in Sikh affairs to fulfill his political interests: Harjinder Singh Dhami<br>Amritsar:<br>The Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee (SGPC), Sri Amritsar, President Harjinder Singh Dhami has strongly condemned the announcement made by Punjab Chief… <a href=”https://t.co/6W4Nl0a4av”>pic.twitter.com/6W4Nl0a4av</a></p>&mdash; Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee (@SGPCAmritsar) <a href=”https://twitter.com/SGPCAmritsar/status/1670747167428837377?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 19, 2023</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाबी में ट्वीट किया, ”मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान जी, सिखों के धार्मिक मामलों को उलझाने की कोशिश मत कीजिए। सरकारों को सिख मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। “आप सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन करके इसमें एक नयी धारा जोड़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन, यह केवल केंद्र द्वारा किया जा सकता है और वह भी सिखों द्वारा चुनी गयी संस्था एसजीपीसी की सिफ़ारिश पर। एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि गुरबानी के प्रसारण में मर्यादा (सिख आचार संहिता) सर्वोपरि है।

मान ने यह कहते हुए इस दावे का खंडन किया कि अधिनियम उनके दायरे में था, क्योंकि यह एक राज्य अधिनियम है न कि केंद्रीय अधिनियम।

इस बीच शिरोमणि अकाली दल ने भी सरकार के इस क़दम पर कड़ा ऐतराज़ जताया है। अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने सरकार पर सिखों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कहा, “1925 के सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन असंवैधानिक है, क्योंकि इसे संसद द्वारा लागू किया गया है।” उन्होंने कहा,”आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर लिया गया फैसला सिखों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

इस बीच इस संशोधन ने फिर से कांग्रेस के विभाजित सदन को उजागर कर दिया है और वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा आप की प्रशंसा की गयी है। सीएम के इस क़दम की सराहना करते हुए कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया: “सरब सांझी गुरबानी … मतलब बिना किसी भेदभाव के एक और क़दम सभी के लिए … यह मेरे सहित दुनिया भर के लाखों सिखों की पोषित इच्छा थी … सराहनीय प्रयास @भगवंत मान … शाबाश।”

इस बीच कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता सुखपाल खैरा ने सीएम मान और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा। “भगवंत मान की सरकार सिखों के लिए कितना दुखद दिन है, जिसमें कोई अमृतधारी सिख (बपतिस्मा प्राप्त) नहीं है और @ArvindKejriwal जैसे नेताओं द्वारा दिल्ली से चलाया जाता है, जो खुद को आरएसएस की विचारधारा का प्रबल अनुयायी होने का दावा करते हैं, अब एक मार्शल समुदाय के भाग्य का फ़ैसला करेंगे। सिखों और उनके धार्मिक मामलों (सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925) के बारे में जो हमारे पूर्वजों ने अपार रक्तपात और शानदार बलिदानों के बाद हासिल किया था! मुझे उम्मीद है कि नकली क्रांतिकारियों की इस नस्ल की समझ आयेगी।’

ध्यान दिया जाना चाहिए कि गुरबानी का अर्थ है गुरु के शब्द, जो अक्सर एक गाया हुआ संदेश होता है। गुरबानी सिख धर्म का पवित्र साहित्य है। यह सिख गुरुओं के साथ-साथ गुरु ग्रंथ साहिब के विभिन्न कवियों द्वारा की गयी कई रचनाओं के संग्रह को संदर्भित करता है। यह पवित्र शास्त्र भजन के रूप में निहित है।

आईएन ब्यूरो

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