गाेविंदाचार्य ने साल 2021 तक 'सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनाने की मांग दुहराई

साल  1966 में गोपाष्टमी (7 नवंबर, 1966) के दिन दिल्ली में संसद भवन के सामने गोरक्षा के लिए विशाल प्रदर्शन किया गया था। इस प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए तत्कालिन कांग्रेस सरकार ने पुलिस-बल का इस्तेमाल किया। संसद मार्ग पर ही पुलिस की गोलियों से सैकड़ों संतों और गोभक्तों को जान गंवानी पड़ी थी। इस आंदोलन को 50 साल से अधिक का समय गुजर गया है। वहीं, केंद्र में दूसरी बार नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की सरकार चल रही है। जिससे भाजपा के पूर्व नेता और थिंक टैंक के एन गोविंदाचार्य ने साल 2021 तक 'सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनाने की मांग दुहराई है।

संघ विचारक के एन गोविंदाचार्य का कहना है कि स्वतंत्रता के पहले कांग्रेस के नेतागण जनता को स्वतंत्रता आंदोलन के साथ जोड़ने के लिए अनेक बातें बताते थे। उनमें से एक बात यह भी होती थी कि स्वतंत्रता मिलने पर हमारी पूज्य गोमाता की हत्या को कानून बनाकर बंद कर दिया जायेगा। 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया। 26 जनवरी 1950 को भारत का अपना संविधान भी लागू हो गया। पर उस संविधान में संपूर्ण गो-हत्या बंदी कानून नहीं बना। केवल धारा 48 में भविष्य में ऐसा कानून बनाने की सदिच्छा का समावेश किया गया।
<h2>1952 में RSS ने  1.75 करोड़ हस्ताक्षर राष्ट्रपति को दिया</h2>
गाेविंदाचार्य ने बताया कि इस कारण साल 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ताओं ने ‘संपूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनाने की मांग के लिए देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। करीब  1.75 करोड़ हस्ताक्षर युक्त ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ की मांग वाला ज्ञापन 8 दिसम्बर 1952 को तत्कालिन राष्ट्रपति को दिया गया। इस मांग के एक दशक बीत जाने के बाद भी जब केन्द्र सरकार ने ‘सम्पूर्ण गोहत्या बंदी कानून’ नहीं बनाया तो RSS के सरसंघचालक गोलवलकर जी की पहल पर 1966 वाली, विशाल गोरक्षा आन्दोलन की तैयारी हुई।

गोविंदाचार्य के मुताबिक, इस आन्दोलन का नेतृत्व शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ,  धर्मसम्राट स्वामी करपात्रीजी महाराज,  संत प्रभुदत ब्रह्मचारी, गीताप्रेस गोरखपुर के संस्थापक हनुमानप्रसाद पोद्दार और RSS के सरसंघचालक गोलवलकर कर रहे थे। इस आंदोलन का ही चरमोत्कर्ष था दिल्ली में साल 1966 की गोपाष्टमी के दिन हुआ विशाल प्रदर्शन। उस आन्दोलन में सैकड़ों पूज्य संतों और गोभक्तों के बलिदान हो जाने के बाद भी केन्द्र सरकार ने ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून‘ नहीं बनाया।

<img class="wp-image-18889" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/goraksha.jpg" alt="" width="561" height="255" /> 1966 में गो हत्या बंदी के लिए प्रदर्शन

<em>सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून के लिए आगे के प्रयासों पर उन्होंने बताया कि संघ परिवार (RSS) के सहयोग से 30 सितम्बर 2009 से  10 जनवरी 2010 तक गोरक्षा की मांग के समर्थन में <strong>‘विश्वमंगल गो ग्राम यात्रा’</strong> का आयोजन हुआ। गोरक्षा के लिए ‘संपूर्ण गोहत्या बंदी कानून’ की मांग करते हुए देशभर से करीब 8.5 करोड़ हस्ताक्षर जमा किये गये और उस ज्ञापन को राष्ट्रपति को सौंपा गया। </em>
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<h2>विनोबा ने  ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ की मांग के लिए लंबी भूख हड़ताल की</h2>
सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून को लेकर आगे की सरकारों और उस दौरान के प्रयासों  के बारे में उनका कहना था कि साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी। उस समय विनोबा भावे ने केन्द्र सरकार से ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनाने की मांग के लिए लंबी भूख हड़ताल की। पर जनता पार्टी सरकार ऐसा कानून बनाने से पहले ही टूट गयी। इसके बाद, साल 1998 में भाजपा की केन्द्र में गठबंधन सरकार बनी। उस सरकार ने फिर एक बार ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनाने का प्रयास किया, पर गठबंधन के अन्य सहयोगियों के दबाव में वह कानून नहीं बन पाया।

<strong>संघ के वयोवृद्ध स्वंयसेवक गोविंदाचार्य का कहना है कि मई 2014 में भाजपा की केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। इसके बाद से संतों और गोभक्तो में ‘सम्पूर्ण गो हत्या बंदी कानून’ के बन जाने की फिर आशा जागी। 1966 के आंदोलन को 50 साल पूरे होने के अवसर पर  7 नवम्बर 2016 को दिल्ली में बलिदान हुये गोभक्तो को श्रद्धांजलि देने और सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून की मांग के लिए सैकड़ों पूज्य संत और हजारों गोभक्त एकत्र हुये थे। इस सभा के माध्यम से ‘गोमाता का निर्देश पत्र’ सरकार और समाज के सम्मुख रखा गया। इस 20 सूत्री ‘गोमाता के निर्देशपत्र’ में प्रमुख सूत्र – केन्द्र सरकार से ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनाने की मांग ही है।</strong>

गोविंदाचार्य का कहना है कि मई 2019 में पहले से अधिक बहुमत से भाजपा की केन्द्र में सरकार बन गई है। अभी तक केन्द्र सरकार ने ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनाने की दिशा में कोई पहल नहीं की है। उन्होंने बताया कि गोमाता के निर्देश पत्र को बनाने में मेरी भी भूमिका थी। इसलिए देशभर से अनेक पूज्य संत और गोभक्त मुझसे ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बनने की संभावना के बारे में प्रश्न कर रहें हैं। सभी का एक सामान्य प्रश्न है – " अगर संघ परिवार (RSS) की पूर्ण बहुमत वाली सरकार रहते ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ नहीं बन रहा है, तो फिर कब बनेगा?" मै भी ऐसा ही सोचता हूं।

<strong>गोविंदाचार्य ने सरकार से अपनी सदिच्छा प्रकट करते हुए कहा कि शीघ्र ‘सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून’ बनें। जिन आदर्शों के लिए हम सब ने स्वयं को समर्पित किया उन्हें सार्थक होते हुये अपनी आंखों से देख पाने का सौभाग्य मैं भी चाहूंगा। साथी ही कहा, पूज्य संतों और गोभक्तों की भावनाओं को केन्द्र सरकार तक पहुंचाने का कर्त्तव्य निभाते हुए मैं भी उन सब के साथ केन्द्र सरकार से मांग कर रहा हूं कि वह 2021 की  गोपाष्टमी के पहले ‘सम्पूर्ण गोहत्याबंदी कानून’ बना कर पुण्य अर्जित करें और 'गोमाता का निर्देशपत्र' को पूर्णतः क्रियान्वित करे। तभी 'सम्पूर्ण गो-हत्या बंदी कानून' को उचित ढंग से लागू किया जा सकेगा और निराश्रित गोवंश की भी ठीक से देखभाल हो सकेगी।</strong>.

रोहित शर्मा

Guest Author

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